भारत के विभिन्न स्कूलों में फालुन दाफा अभ्यास का परिचय जानिये कैसे फालुन दाफा स्कूली बच्चों को स्वास्थ्य और शैक्षणिक परिणामों मदद कर रहा है

फालुन दाफा, जो सौम्य अभ्यास और ध्यान की पद्धति है, भारत के विभिन्न स्कूलों में लोकप्रिय हो रही है। भारत में स्कूलों के साथ फालुन दाफा का जुड़ाव वर्ष 2000 से है, जब इसे पहली बार बैंगलोर के एक स्कूल में सिखाया गया था। तब से, इसे पूरे भारत के सैकड़ों स्कूलों में सिखाया जा चुका है। जबकि छात्र फालुन दाफा का अभ्यास आनंद के साथ करते हैं, शिक्षक छात्रों के व्यवहार और शैक्षणिक परिणामों में सुधार की सराहना करते हैं। स्कूल इस बात को भी मानते हैं कि यह अभ्यास किसी धर्म से संबंधित नहीं है और पूरी तरह नि:शुल्क सिखाया जाता है।

फालुन दाफा (जिसे फालुन गोंग के नाम से भी जाना जाता है) एक प्राचीन साधना अभ्यास है जिसमें पांच सौम्य व्यायाम सिखाये जाते हैं जिसमें ध्यान भी शामिल है। फालुन दाफा को पहली बार चीन में मई 1992 में श्री ली होंगज़ी द्वारा सार्वजनिक किया गया। आज, 100 से अधिक देशों में 10 करोड़ से अधिक लोग इसका अभ्यास कर रहे हैं। फालुन दाफा के व्यायाम शरीर को शुद्ध करने, तनाव से राहत देने और आंतरिक शांति प्रदान करने में मदद करते हैं। रत्नप्रभा, जो मुंबई की एक फालुन दाफा अभ्यासी हैं, जब अपने बेटे से मिलने दिल्ली आईं, तो उनकी नजर करोल बाग में उनके घर के पास एक नगर निगम संचालित प्राथमिक स्कूल पर गयी। उन्होंने स्कूल के प्रधानाचार्य से फालुन दाफा अभ्यास सिखाने की अनुमति के लिए गईं। रत्नाप्रभा ने पांच दिनों तक बच्चों को अभ्यास सिखाया। बच्चों को व्यायाम करते हुए और आनंद लेते हुए देखकर वह बहुत खुश हुई। प्रधानाचार्य भी अभ्यास सीखने में शामिल हुए।

नागपुर के फालुन दाफा अभ्यासी, डॉ. गेडाम और उनकी पत्नी ने 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के दौरान कुछ स्कूलों में जाने का फैसला किया। सक्सेस पॉइंट स्कूल, ने उन्हें 6 सितंबर की दोपहर को स्कूल में फालुन दाफा का परिचय देने और अभ्यास प्रदर्शित करने के लिए आमंत्रित किया। छात्रों और शिक्षकों ने फालुन दाफा अभ्यास सीखा। शिक्षकों ने कहा कि जब उन्होंने ध्यान आरम्भ उन्हें ऊर्जा महसूस हुई और बच्चों को इतनी तेजी से शांत होते देखकर वे चकित रह गए। शिक्षक भी हैरान थे कि यह अभ्यास नि:शुल्क सिखाया जा रहा था, जो उन्होंने कहा कि आजकल दुर्लभ है। एक अन्य स्कूल में जहां डॉ. गेडाम और उनकी पत्नी ने दौरा किया, दो सत्र आयोजित किए गए, क्योंकि खेल का मैदान एक समय में सभी छात्रों को समायोजित नहीं कर सकता था। कुछ छात्रों ने कहा कि ध्यान के दौरान उन्हें लगा कि वे किसी दूसरी दुनिया में हैं। शिक्षक इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने पूछा कि क्या शिक्षकों को अभ्यास सीखने के लिए एक और सत्र हो सकता है।

सुधीर गर्ग, एक सेवानिवृत्त इंडियन ऑयल अधिकारी और भोपाल के फालुन दाफा अभ्यासी ने भोपाल, रतलाम और सीहोर के विभिन्न नवोदय स्कूलों में फालुन दाफा सत्र आयोजित किए। प्रत्येक सत्र में सैकड़ों छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया और फालुन दाफा के सभी पांच अभ्यासों का प्रदर्शन किया गया। स्कूल के प्रधानाचार्यों और शिक्षकों ने भी अभ्यास सीखे और श्री गर्ग के प्रयासों की सराहना की।

फालुन दाफा अभ्यास का प्रदर्शन लेह, लद्दाख और उसके आसपास के कई स्कूलों में किया गया है। इसमें कई बड़े और छोटे स्कूल शामिल हैं, जिनमें सबसे छोटे में केवल 17 बच्चे थे, और सबसे बड़े में हजारों। इन सभी स्कूलों में, बच्चों और शिक्षकों को फालुन दाफा के पांच व्यायाम सिखाये गए। बच्चों ने अभ्यास सीखने में बहुत रुचि दिखाई। भारतीय फालुन दाफा अभ्यासियों ने निस्वार्थ रूप से इस अनोखी पद्धति को देश भर में पहुँचाने का प्रयत्न किया है। यह अभ्यास छात्रों को अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने, उनके मन को शांत करने और अच्छे शैक्षणिक परिणाम प्राप्त करने में मदद कर रहा है। यदि आप भी इस अभ्यास को सीखने के इच्छुक हैं तो www.learnfalungong.in पर इसके नि:शुल्क वेबिनार के लिए रजिस्टर कर सकते हैं। फालुन दाफा के बारे में अधिक अधिक जानकारी आप www.falundafa.org पर पा सकते हैं।

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