खुली खिड़की
हमेशा दूसरो की बेटियों मे कमी निकलना उसकी आदत सी बन गई थी। इसी का परिणाम था, वह इतने बड़े घर मे अकेली पड़ी रहती थी, दिन किसी तरह कट जाता था, पर रात का काला अंधेरा उसे खाने को दौड़ता था। वह इस निराश जिंदगी का अन्त कर देना चाहती थी। जिन्दगी का अन्त करना आसान काम नही था। उसने कई बार नींद की दस-दस गोलिया…
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धुँधले- बादल
सड़क पर जाते समय उसे बार-बार ऐसा लग रहा था।जैसे कोई अजनबी उसका पीछा कर रहा है।पर वह जब भी पीछे मुड़कर देखती, उसे कोई भी दिखाई नहीं देता। फिर उसे लगा कहीं उसे वहम तो नहीं हो गया है। वह सीधी चलती रही, गली में घुसने से पहले उसने एक बार फिर पीछे मुड़कर देखा। पर उसे दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आया। उसे आज व…
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