ग़ज़ल
दूध से जो कभी जला होगा। छाछ भी फूँक पी रहा होगा। काम छोटे करो ज़रा मिल कर, काम कोई तभी बड़ा होगा। साथ चलता न जो बुराई के, साथ उसके नहीं बुरा होगा। तब लगेगा ज़रा अधिक दमखम, हाथ परचम अगर बड़ा होगा। कारवां छोड़ कर गया जो कल, आज दर दर भटक रहा होगा। ह…