वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
जो नाश करते सबके अभिमान का जो हमेशा सबको दान देते ज्ञान का
कहते सभी उनको सिद्धि विनायक और कहते विघ्नेश्वर आप मंगलकारी
पिता शिवजी और माता पार्वती के वो पुत्र लाडले कहते श्री गणेश हैं
हम सबके जो भाग्य विधाता उनको करते हम सब बारम्बार प्रणाम हैं
भोली सूरत और हाथी जैसा मस्तक कहते हम सभी उनको श्री गणेश हैं
करते मस्ती होते मूषक पर सवार मनपसंद मोदक जिनका आहार है
शिव गौरी के राजदुलारे आपके चरणों में हम सबका बारंबार प्रणाम है
देवों के देव कहलाते एक दंत और सुंदर काया महिमा अपरम्पार है
मंगल ही मंगल होता यदि सबसे पहले पूजा करते कहते श्री गणेश हैं
सभी दुखों को हर लेते करते हृदय में वास हम सबका वो विश्वास है
रूप इनका बड़ा निराला मतवाला गणपति बप्पा बड़ा ही प्यारा है
पूजों इनको सुख मिलता समृधि मिलती और मिलती खुशियाँ अपार है
दिल से जो भी मांगों सब यहाँ मिलता खुला हुआ इनका दरबार है
जय जय बोलो सब मिलकर विघ्नहर्ता मंगलकर्ता आए श्री गणेश हैं
सोनी गुप्ता
नई दिल्ली
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