रोज की भांति घनश्याम के हाथों में खाने का टिफिन नहीं था, सड़क सुनसान होने के साथ ही पूरे बाजार बंद थे | घनश्याम की पीठ में जोरदार लाठी पड़ती है, उसने पीछे मुडकर देखा ! तो वह लाठी पुलिस की लाठी थी | घनश्याम ने दोनों हाथ जोड़कर कहा मैंने कुछ नहीं किया है साहब! पुलिस वाले ने कहा तू कह रहा है कुछ नहीं किया, फालतू सड़कों पर क्यों घूम रहा है ? पता नहीं तुझे लॉकडाउन लगा है, मैं तुझे तीन दिन से खाली हाथ घूमते देख रहा हूं| यह बात सुनकर घनश्याम की आंखें भर आती हैं | वह कहता है साहब चार दिन हो गए हैं मेरे दोनों बच्चे भूखे हैं, उन्होंने एक अन्न का दाना तक नहीं खाया है |
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