स्वच्छ, स्वस्थ व सुंदर जीवन -ग्रामीण जीवन - आदि काल से भारत की सभ्यता और संस्कृति अतिथि देवोभव: की मिसाल रही है , ग्रामीण जीवन में झलकता अपनत्व।



ग्रामीण जीवन में असली सुकून खुले आसमान व प्रकृति के बीच में सुखद अहसास के रूप में मिलते हैं। खेत-खलिहान, झोपड़ी, धोरे, नदियां, पहाड़, पर्वत, झीलें, पक्षी, मवेशी, आँगन व देशी पारम्परिक खेलों संग बसता है गांव का जीवन। कितना सुंदर कितना प्यारा, स्वस्थ व सुंदर सा है गांव हमारा।
 हमारा भारत गाँवों के देश के रूप में जाना जाता है। देश की कुल आबादी का 60 प्रतिशत भाग गाँवों में ही बसती है। गाँव के लोग कृषि एवं पशुपालन के क्रियाकलापों से अपना जीवन निर्वहन करते हैं। हंसते-खिलते खुशहाल एवं समृद्ध जीवन की जब भी बात आती है तो गाँव का जिक्र जरूर आता है। जो अपनत्व, आव-आदर, मान-सम्मान, मानवीय मूल्यों, सादगी एवं भाईचारें की बुनियाद हैं। गांवों की स्वच्छ हवा और प्राकृतिक वातावरण और शुद्ध जल बड़ा स्वास्थ्यवर्द्धक होता है। हरे-भरे खेतों में दिनभर स्वच्छ वायु में सांस लेने के कारण ग्रामीण बड़े सशक्त होते हैं और प्राय: निरोग रहते हैं। पक्षियों की चहचहाहट और बच्चों की किलकारियां अनायास ही उनकी सारी थकान दूर कर देती हैं। भारतीय ग्रामीण क्षेत्र की बात करें तो यहाँ पड़ोस के लोगों में परस्पर घनिष्ठता अधिक होती है और वे एक दूसरे के सुख-दुःख में अधिक निकटता से सम्मिलित होते है. गाँवों में खुलापन और हरियाली होती है। ग्राम्य जीवन की सादगी हर किसी के दिल को छू लेने वाली होती हैं। भारतीय गाँव किसान की जन्मस्थली होती है, जहाँ वे कृषि, हरे भरे खेत एवं अपने पशुओं के बीच खुशहाल जीवन जीते हैं। कठोर परिश्रम सरल स्वभाव बोल दर्दे ग्रामीण जीवन की विशेषताएं हैं।
आज भी ग्रामीण जीवन प्रकृति की गोद में बसने वाला स्वच्छ, सुंदर व स्वस्थ तथा सादगी भरा जीवन है जहां अपनत्व की भावना, सुखद अहसास व आंनद की अनुभूति होती है।

 
             शैताना राम बिश्नोई
                    जोधपुर

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