विचार और सिद्धांत व्यक्ति के अंदर की अतः प्रज्ञा होती है। और यह सिद्धांत तथा अंतः विचारधारा जनमानस तक पहुंचने से बाधित किया जाए अंतरात्मा को प्रभावित करती है और इसके गहरे प्रभाव से व्यक्ति वह सब कर सकता है जो बिना मार्गदर्शन के व्यक्ति नहीं कर सकता। प्राचीन काल से अब तक वैचारिक सिद्धांत और विचारधारा सदैव समाज के दिग्दर्शक मार्गदर्शक रहे हैं। इनकी भूमिका सदैव महत्वपूर्ण रही है।यदि यही सिद्धांत और अंतः प्रज्ञा जनमानस आत्मसात कर लेता है, तो इसका प्रभाव एक जन आंदोलन का रूप ले लेता है और यहीं से युग परिवर्तन की लहर उत्पादित होती है। प्राचीन यूनान में एक बहुत ही कुरूप किंतु विद्वान व्यक्ति रहते थे,उनके विचारों में मौलिकता,नयापन जनजागृति की अद्भुत क्षमता थी। उनकी विद्वता के कारण आम जनमानस होने राजा से ज्यादा महत्व और बुद्धिमान मानते थे। राजकीय तानाशाही के चलते उनके विचारों के कारण उनको मृत्युदंड दे दिया गया। जहर का प्याला पीने के बाद भी विद्वान, चिंतक, सुकरात अमर हो गए, उनकी विचारधारा आज भी जीवित है, एवं लोग उसे अपनाकर अपना जीवन सुधारने में इसका उपयोग करते हैं। अब्राहम लिंकन ने अमेरिकी स्वतंत्रता के बाद दास प्रथा के बारे में कहा था कि दास भी मनुष्य हैं, उन्हें भी उतना ही जीने का अधिकार है जितना स्वामी को है। अब्राहम लिंकन के आंदोलनकारी विचार से तत्कालीन समय में अमेरिका के लोग घबरा गए थे,और उनकी हत्या कर दी गई थी। पर अब्राहम लिंकन के विचारों ने दास प्रथा के उन्मूलन की अंतर आत्मा को जागृत कर दिया था, और जनमानस ने अपने अधिकारों के लिए लड़ते हुए दास प्रथा से मुक्ति पाई थी।
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