संघस्थ अनिल भैया ने डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज को बताया कि ये प्रवचन गणाचार्य श्री विरागसागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य महातपस्वी आचार्य श्री विमदसागर जी महाराज ने आज सुदामानगर इंदौर में एक धर्म सभा में दिये।
उन्होंने आगे कहा कि- इसी प्रकार बुढ़ापे में जिनके हाथ कांपने लगे हैं वह भी अभिषेक करने के योग्य नहीं हैं। अति बाल और अति वृद्ध दोनों अभिषेक के योग्य नही हैं, इसलिये धर्म जवानी में प्रारम्भ करना चाहिये। वृद्ध अवस्था में भगवान के अभिषेक देखना चाहिये और णमोकार जाप करना चाहिये। वृद्ध अवस्था में जब हाथ कांपते हैं अभिषेक करते समय कलश छूट जाता है। वृद्धावस्था में भारी धर्म नहीं हो सकता है, हल्का फुल्का ही धर्म हो सकता है।
वृद्धावस्था में महाउपवास एवम् महातप नही हो सकता है क्योंकि तप करने के लिये शरीर में बल आवश्यक है। वृद्धावस्था में धर्म करने की उत्कृष्ट भावना होती है क्योंकि बचपन में और जवानी धर्म किया ही नहीं। युवावस्था में ही धर्म करना चाहिये। महापुरुषों का कभी बुढ़ापा नहीं आता है।
डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
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