ये खुलकर मुस्कुराना चाहती है।
दिलों में घर बनाना चाहती है।
नहीं कोई ख़ज़ाना चाहती है।
शिकायत हर मिटाना चाहती है।
सियासत को हराना चाहती है।
नहीं कुछ भी पुराना चाहती है।
नये नग़मे सुनाना चाहती है।
अदावत को मिटाना चाहती है।
समयअच्छा बिताना चाहती है।
जहां को जगमगाना चाहती है।
मुहब्बत ही लुटाना चाहती है।
सभी बातें बताना चाहती है।
नहीं कुछभी छुपाना चाहती है।
हरइकग़मको भुलानाचाहतीहै।
हवा में सब उड़ना चाहती क्है।
तुरत रफ्तार पाना चाहती है।
नहीं कोई बहाना चाहती है।
सुकूंसबको दिलाना चाहती है।
सबक़अच्छा पढ़ाना चाहती है।
नहीं उर्दू से इसका बैर कोई,
विदेशी को हटाना चाहती है।
जड़ेंगहरी बहुतइसकी ज़मींपर,
नहीं अब डगमगाना चाहती है।
जहाँहिन्दीही हिन्दीहरतरफ़ हो,
हसीं ऐसा ज़माना चाहती है।
होजिससे मानभारतकाजहांमें,
रिवायतहर निभाना चाहती है।
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