गांधी को जन से जोड़ने की जुगत है गांधी कथा वाचन
गांधी को जन से जोड़ने की जुगत है गांधी कथा वाचन:- गौतम

 आगामी 2 अक्टूबर गांधी जी के जन्म दिवस के अवसर पर बिहार सरकार राज्य के सभी राजकीय विद्यालयों में गांधी कथा वाचन करवाने जा रही है.इसके लिए शिक्षकों को जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक गांधी कथा वाचन करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.वैश्वीकरण के दौर में तेजी के साथ जिस तरह से मूल्यों का ह्रास हो रहा है,नैतिकता का पतन हो रहा है,सदाचार से लोग दूर हो रहे हैं,अपने शिक्षा और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं,सत्कर्म को समझ नहीं पा रहे हैं,जिम्मेवारी और जवाबदेही से दूर भाग रहे हैं उस परिवेश में इस प्रकार का आयोजन एक सकारात्मक संदेश देने का कार्य करेगा.

देश के लाखों शिक्षकों को गांधी जी के जीवनी आदर्शों मूल्यों विचारों से अवगत कराये जा रहे हैं ताकि वे गांधीजी के शिक्षा को, विचार को बच्चों के माध्यम से जन जन तक पहुंचाने का कार्य कर सकें.किस तरह से  मोहनदास करमचंद गांधी  महात्मा गांधी  राष्ट्रपिता  और बापू बन गए  इसके बारे में बहुत ही रोचक तरीके से बच्चों को बताया जाएगा.महात्मा गांधी का जीवन और उनकी कर्म यात्रा से पूरी दुनिया को एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा मिलती है.अगर हम उनके विचारों का उपयोग अपने जीवन में करें तो हम सबका भला ही होगा.इसके लिए जरूरी है कि गांधीजी के जीवन दर्शन को लोगों को जिंदगी के शुरुआती क्षणों यानी बचपन से ही पढ़ाया और समझाया जाए.इस उम्र में सुनी और समझी गई बातें ताउम्र स्मरण में रहती है.बाजारवादी परिवेश में गांधी जी आज भी पूरी तरह से प्रसांगिक हैं.अगर उनकी विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाया जाए तो भारत एक बार फिर से दुनिया के किसी भी मुल्क से किसी भी सामग्री प्राप्त करने के लिए  मोहताज नहीं रहेगा.दुनिया की अर्थव्यवस्था में घट रही घटनाएं भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित नहीं करेंगे.

भारत खुद प्राकृतिक विविधताओं से परिपूर्ण देश है.जहां देशवासियों की जरूरत की हर प्रकार की वस्तुएं और संसाधन मौजूद है बस जरूरत है उसे पहचानने की और उस क्षमता को विवेक पूर्ण दोहन करने की,ताकि आने वाले भविष्य में नई पीढ़ी को कोसाना न पड़े कि हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए कुछ नहीं छोड़ा है.अगर गांधीवादी विचारधारा पर भारतीय अर्थव्यवस्था आधारित होगी तो इसमें कहीं से कोई शक नहीं भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर से आत्मनिर्भर बन जाएगा. यहां के लोग अपनी जरूरत की वस्तुएं खुद बनाएंगे या जो नही बना पाएंगे उसे अपने पड़ोसी के पास से प्राप्त कर सकते हैं जिसके लिए अपने द्वारा अर्जित किए गए अधिक सामग्री के बदले प्राप्त किया जा सकेगा, यानी लोग वस्तु विनिमय के माध्यम से जरूरत की सामग्री प्राप्त कर सकेंगे.

 इस गांधी कथा वाचन के माध्यम से गांधी जी के जीवन वृत्त से बच्चों को परिचित कराया जाएगा उन्हें गांधी जी के जन्म 2 अक्टूबर 1869 से लेकर उनकी मृत्यु 30 जनवरी उन्नीस सौ 48 के प्रत्येक गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान किया जाएगा. इसमें गांधी जी के बचपन से लेकर संघर्ष के दिनों तक की कथा शामिल है.इस कथा वाचन के माध्यम से गांधी जी के अंग्रेजो के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई और उससे प्राप्त सफलता के बारे में बताया जाना है.इसमें बच्चे गांधी जी द्वारा भारत से लेकर इंग्लैंड तक प्राप्त किए गए शिक्षा,फिर दक्षिण अफ्रीका में वकालत किए जाने के बारे में,उन्हें किस तरह से दक्षिण अफ्रीका के एक शहर में रेलगाड़ी से उतार दिया गया था, उसके बारे में फिनिक्स आश्रम के स्थापना के बारे में,टॉलस्टॉय फार्म के बारे में,उसके बाद साबरमती आश्रम की स्थापना,चंपारण सत्याग्रह,अहमदाबाद मिल सत्याग्रह,असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन,नमक सत्याग्रह आंदोलन (दांडी यात्रा) वर्धा सेवाग्राम आश्रम की स्थापना, भारत छोड़ो आंदोलन और भारतीय स्वाधीनता उपरांत होने वाले समस्याओं से निपटने के बारे में संपूर्ण जानकारी दिया जाना है.साथ ही उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों के बारे में पत्र-पत्रिकाओं के बारे में भी बच्चों को जानकारी दी जाएगी.सत्य और अहिंसा के सिद्धांत से किस तरह से उन्होंने सिर्फ एक धोती में लिपटे शरीर के बदौलत लगभग साठे तीन सौ सालों तक भारत में राज करने वाले अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया इस पर भी बात किया गया है. इस कथा वाचन के माध्यम से  बच्चों को बताया जाना है  कि गांधी जी किस तरह से  निरक्षर गरीब असहाय और मासूम भारतवासियों के बीच  स्वाधीनता का अलख जगाया,उनके बीच  सामाजिक धार्मिक कुरीतियों से उबरने का पाठ पढ़ाया. किस तरह से यहां की महिलाओं  जोकि घुंघट और चौखट से बाहर नहीं आती थी स्वाधीनता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार किया  इसके बारे में  बताया जाना है. उन्होंने किस तरह से आदिवासियों वनवासियों के जिंदगी में बदलाव लाया.किस तरह से वंचित और पिछड़े वर्गों के  बीच  आत्मसम्मान का  पाठ पढ़ाया के बारे में बताया जाना है. पूज्य बापू ने  किस तरह से विविधता से भरे  भारत वासियों को  एक सूत्र में पिरोया  इसके बारे में जानकारी दी जाएगी. किस तरह से राष्ट्रपिता ने  भारत के गंगा जमुनी तहजीब को  मजबूत किया  उसके बारे में बताया जाएगा. गांधी जी आज भी  केवल भारतीयों के लिए  नहीं पूरे दुनिया के लिए प्रासंगिक है  इसके बारे में भी बच्चों को बताया जाएगा.गांधी जी के 150 वीं वर्षगांठ के अवसर पर विद्यार्थियों को कथा के साथ साथ गांधी जी के वृतचित्रों के माध्यम से भी बच्चों को परिचित करवाने का प्रयास किया जाएगा.ताकि बच्चे आसानी से गांधीजी के बारे में जान और समझ सके और उसे अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करें.

इस कोशिश में कितनी कामयाबी मिलती है यह आने वाला समय बताएगा लेकिन एक बात जरूर है एक बार फिर से गांधीवाद लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बिंदु जरूर बन जाएगा.चाहे दुनिया कितना भी बदल जाए हर वक्त गांधीवादी विचारधारा अपनी प्रासंगिकता बनाए रखेगी.इसे भुला देना किसी के वस की बात नहीं है.आज दुनिया के अनेक देश और उनके विश्वविद्यालयों में गांधी जी के विचारधारा के बारे में शोध किया जा रहा है उनके विचारों को अपनाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है.उन देशों से हमें भी सीखना चाहिए और अपने देश के इस महान सुपुत्र के कर्म और विचारधारा के बारे में समय-समय पर लोगों को अवगत कराया जाना चाहिए.गांधीजी सिर्फ अपने देश के लिए गौरव की बात नहीं है यह एक ऐसे शख्सियत हैं जिस पर सारी दुनिया नाज करती है.उम्मीद है देर सवेर किए जा रहे इस प्रयास से एक बार फिर गांधीजी केवल भारतीय रुपए पर नहीं हर देशवासी के हृदय पर अंकित हो जाएंगे.


लेखक

गोपेंद्र कुमार सिन्हा गौतम

शिक्षक और सामाजिक चिंतक

दाउदनगर औरंगाबाद बिहार