तरु शाखा पर बैठा पंछी, नाच-नाच कर गाता है!.
काठ फोड़ता कठ-फोड़वा भी, ताल से ताल मिलाता है!!.
चीखुर-शिशु वृक्ष शिखा तक, सरपट दौड़ लगाते हैं!.
टिकू-टिकू आवाज कर, प्रतिद्वंदी को चिढ़ाते हैं!!.
प्रबल शाख पर माँ उनकी, लेटे आराम फरमाती है!.
आँख मूँद निश्चिन्त होकर, पवन आनंद उठाती है!!.
कभी तेज आवाज में, बच्चों को डाँट सुनाती है!.
हद पार ना करने की, सख्त हिदायत देते जाती है!!.
हर्षित कबूतर नयन मूँद, संगीत आनंद उठाता है!.
संगीत रस में डूब कर, वह सपनों में खो जाता है!!.
बीच-बीच में आँख खोल कर, तंद्रा दूर भगाता है!.
संगीत फिजा में वह भी, गुटुर-गूँ शुरू हो जाता है!!.
थोड़ी देर में काग महाशय, उसी वृक्ष पर आ गये!.
काँव-काँव की धुन सुना, वे भी संगीत में छा गए!!.
खुद को बेमेल समझ कर, थोड़ी ही देर में बंद भये!.
नयन मूँद कर ध्यान लगा, वे अच्छे श्रोता बन गये!!.
तोता मैना खंजन मुनियाँ,सब मधुर राग में गाते हैं!!.
तरह-तरह के राग मिल, रागिनी समूह बनाते हैं!!.
हरे-भरे तरुवर के बीच, संगीत बहार सी आई हैं!.
सारे प्यारे खग-वृन्द हेतु, मस्ती बसंत की छायी है!!.
कुछ पंख पसारे नृत्य करें, कुछ मीठे स्वर में गाते हैं!.
कुछ ध्यान-मग्न हो नृत्य गीत की, महफ़िल में खो जाते हैं!!.
सारे पंछी बेफिक्र हैं... इसी लिए तो प्रसन्न हैं!.
चिंता फिक्र से कोसों दूर, हरित वृक्ष आसन्न हैं!!.
ना उन्हें कोई चिंता है... ना ही कोई गम!.
...और हम???...
हम भी कभी बेफिक्र थे, मस्ती में गाया करते थे!.
अपने सलोने रूप से, सबको लुभाया करते थे!!.
लय ताल-सुर गीत-संगीत, कुछ भी हमें न आते थे!.
शब्द वाक्य तक ज्ञान नहीं, फिर भी हम गाते जाते थे!!.
किलकारी रूपी अलाप पर मेरे, लोग फ़िदा हो जाते थे!.
शाबासी में मुख चूमते, गोद उठा ले जाते थे!!.
लोगों का प्यार दुलार देख, हम और जोश में गाते थे!.
घुटने-बल चलते हुए, किलकारी-गीत सुनाते थे!!.
थोड़े बड़े हुए तब तक भी, बेफिक्री में गुनगुनाते थे!.
अपनी तोतली भाषा में, स्व-रचित गीत सुनाते थे!!.
बिना अर्थ के शब्दों का भी, लोग आनंद उठाते थे!.
मुख से निकले हर शब्द पर, ताली खूब बजाते थे!!.
और बड़े हुए तो, थोड़ी जिम्मेदारी सर पर आयी!.
बेफ़िक्री में खलल पड़ी, खल-नायक बन गयी पढ़ाई!!.
जैसे-जैसे बड़े हुए, चिंता भी बढ़ती जाती थी!.
जिम्मेदारी-सुरसा मेरी, बेफिक्री को खाये जाती थी!!.
अब तो हाल ऐसा है की, बेफिक्र शब्द ही भूल गये!.
जिम्मेदारी के फंदे में, मेरी हँसी-खुशी सब झूल गये!!.
जे.एस.यादव
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