साथ हो तुम तो,ज़र्रा ज़र्रा चाँद है ।
नकाब से जरा निकला तुम्हारा चेहरा,
हंगामा कर दिया,ये तो ईद का चाँद है।
शाइर ने कहा ये इश्क का अंजाम है,
आशिक़ शरमाया,आशिकी का चाँद है।
लिख दी गुलफाम पर बेहतरीन ग़ज़ल,
उसने कहा ये पूरा चौदवी का चाँद है
चंदा भरमाया गजब ये इक नया चाँद है
चाँद को दिखला दो ये हसींन सा चाँद है।
इतना न सजा करो,यूँ रूप की रानी,
कहाँ छुपाएंगे ये चांदनी का चाँद है।
अदावत न हो जाये सितारों से ताजिंदगी,
जेहन में बसा खिलखिलाता सा चाँद है।
कब्र में आए हौले से वो चंद फूल ही लेकर,
अंदर से आवाज आई ये महजबी का चाँद है।
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