मेरे मौला ये खौफनाक मंज़र क्यों ।
कौम का बटवारा खून से सना हुआ ,
लहु की धार नफरत का असर क्यों।
ए खुदा तेरी रहमत या कुछ और है ,
आँखों में तल्खी,जुबाँ पे जहर क्यों ।।
कहीं घर उजड़ा है कही दुकांन उजड़ी,
अमन गायब है बचे अस्थि पंजर क्योंl
एक मिटटी से बनाया है हम सबको,
लाचार इंसान भला इतना जर्जर क्यों
आओ भूलो दंगे फसाद,बनाएं नया जहाँ।
शांति अमन और चैन में संजीव कहर क्यों।।
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