कुछ ही शब्दों में बहुत कुछ कहना सीखता है लघुकथा संग्रह 'चिल्हर'
'चिल्हर' से यहां आशय है छोटे-छोटे कहानियां यानि लघु कथाएं। चिल्हर प्रदीप कुमार शर्मा जी की पहली लघुकथा संग्रह है। जिसमें एक से बढ़कर एक 127 बेहतरीन लघु कथाओं को इस पुस्तक में एक लड़ी के रूप में पिरोया गया है। इससे पहले इनकी 15 पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है तथा 40 से अधिक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का संपादन इन्होंने किया है साथ ही 500 से अधिक रचनाएं देश के विभिन्न भागों से प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं में हो चुका है।
इस लोक कथा संग्रह की शुरुआत कथा 'कफन' से की गई है और अंतिम कथा 'विकास' शीर्षक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से अपनी भावना को व्यक्त करने का प्रयास किया है। जिसमें वे बहुत हद तक कामयाब होते दिख रहे हैं।
       इस लघुकथा संग्रह में लेखक ने अपनी छोटी-छोटी कथाओं के जरिए मानव जीवन के हर पहलू को प्रतिबिंबित करने की कोशिश की है। इस लघु कथा संग्रह में पाठक को सुखांत और दुखांत भावों के साथ-साथ हास्य व्यंग और रोमांस एक जगह पढ़ने को मिलता है।दूसरे शब्दों में कहें तो मानव जीवन के संवेदनाओं के एक एक कोना इसमें व्यक्त किया गया है।
    कुछ ही शब्दों में बहुत कुछ कहना सीखना चाहते हैं तो आपको एक बार प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथा संग्रह चिल्हर का अवलोकन अवश्य करना चाहिए।
    अगर इनकी रचनाओं की बात करें तो किसी भी रचना को कमतर आंकना इनकी लेखनी को अपमानित करने के बराबर होगा। फिर भी इनकी वे लघु कथाएं जो मेरे मानस पटल पर हमेशा हमेशा के लिए अंकित हो गए हैं उन सभी के नामों का जिक्र मैं अवश्य करना चाहूंगा ताकि जब पाठक इस पुस्तक का रसास्वादन करें तो उनका स्वाद और बढ़ जाए। इनकी रचना कफ़न, मार्केटिंग का फंडा, चिल्हर, जुगाड़ ,समाज सुधारक,नेताजी का रक्तदान,मानवता, स्ट्रीट फूड, संस्कृति के रक्षक , शादी की तैयारी , बाबाजी , क्योंकि वह लड़की थी , रंभा,उर्वशी और मोनिका के मी टू, कर्ज माफी , गांधीजी के नाम पर , जनता जनार्दन, शगुन के पटाखे , चंदा का अर्थशास्त्र , गिरगिट , हॉस्पिटल मैनेजमेंट , घड़ियाली आंसू , साइंस ऑफ लव, मुफ्त खोरी , बोल बम, अपनापन और विकास मुझे काफी प्रभावित किये।
   उपरोक्त सभी रचनाओं का कथानक और उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट है जो पाठकों से संवाद करती मालूम होती हैं।आप एक बार इस पुस्तक को पढ़ना चालू करेंगे तो इसे छोड़ने का मन नहीं होगा।
      जहां तक इस कथा संग्रह की कमजोरियों की बात है तो इनकी रचनाओं में मुझे कोई उल्लेखनीय कमी महसूस नहीं हुई। पर रचनाओं की संख्या अधिक होना थोड़ा बहुत बोझिल लगा।अगर इसे दो पार्ट में प्रकाशित किया जाता तो और बेहतर होता।
   अंत में कहना चाहूंगा डॉ प्रदीप कुमार शर्मा जी की पहली लघुकथा संग्रह चिल्हर लघु कथा प्रेमियों के लिए एक ऐसा चारा है जिसे खाये बिना नहीं रहा जा सकता।

1         यदि     आप स्वैच्छिक दुनिया में अपना लेख प्रकाशित करवाना चाहते है तो कृपया आवश्यक रूप से निम्नवत सहयोग करे :

a.    सर्वप्रथम हमारे यूट्यूब चैनल Swaikshik Duniya को subscribe करके आप Screen Short  भेज दीजिये तथा

b.      फेसबुक पेज https://www.facebook.com/Swaichhik-Duniya-322030988201974/?eid=ARALAGdf4Ly0x7K9jNSnbE9V9pG3YinAAPKXicP1m_Xg0e0a9AhFlZqcD-K0UYrLI0vPJT7tBuLXF3wE को फॉलो करे ताकि आपका प्रकाशित आलेख दिखाई दे सके

c.       आपसे यह भी निवेदन है कि भविष्य में आप वार्षिक सदस्यता ग्रहण करके हमें आर्थिक सम्बल प्रदान करे।

d.      कृपया अपना पूर्ण विवरण नाम पता फ़ोन नंबर सहित भेजे

e.      यदि आप हमारे सदस्य है तो कृपया सदस्यता संख्या अवश्य लिखे ताकि हम आपका लेख प्राथमिकता से प्रकाशित कर सके क्योकि समाचार पत्र में हम सदस्यों की रचनाये ही प्रकाशित करते है

2         आप अपना कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि पूरे विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो के साथ हमारी मेल आईडी swaikshikduniya@gmail.com पर भेजे और ध्यान दे कि लेख 500 शब्दों  से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा

3         साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधिब्यूरो चीफरिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।

4         अपने वार्षिक सदस्यों को हम साधारण डाक से समाचार पत्र एक प्रति वर्ष भर भेजते रहेंगे,  परंतु डाक विभाग की लचर व्यवस्था की वजह से आप तक हार्डकॉपी हुचने की जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी। अतः जिस अंक में आपकी रचना प्रकाशित हुई है उसको कोरियर या रजिस्ट्री से प्राप्त करने के लिये आप रू 100/- का भुगतान करें