महाराणा प्रताप का शौर्य


था वीरों का वीर निराला,वह राणा मतवाला था।
जिसका साहस,शौर्य प्रखर था,रिपुसंहारक भाला था।।
उस चित्तौड़ी सेनानी की,सारे ही जय बोलो।
बंद पड़े जो इतिहासों में,उन पन्नों को खोलो।।

राजपुताना की माटी ने,बलिदानों को सींचा।
बैरी का कर काट दिया यदि नारी-आँचल खींचा।।
हल्दी घाटी की माटी ने,जय का घोष निभाया ।
मुग़लों को चटवाई मिट्टी,जय-परचम फहराया।।

उदय सिंह के बेटे राणा,थे साहस-अवतार ।
पुण्य धरा मेवाड़ में जन्मे,शौर्य भरी तलवार।
राजपूत की शान के वाहक,गौरव के संरक्षक 
कालों के जो महाकाल थे,रिपु को विषधर तक्षक ।।

राजपूत कुल जब अकुलाकर,अकबर से थर्राया।
हर कुनबे ने उसके आगे,था निज माथ झुकाया।।
वीर बाँकुरे महाराणा ने तब,निज मान बचाया।
लाज बचाने पुण्य धरा की,भाला ले जब धाया।।
 
धरती माँ का कर्ज़ चुकाया,बना वीर सेनानी।
मातु भवानी के आशीषें,रोशन था बलिदानी।।
थर्रा उठा मानसिंह भय से,अकबर भी घबराया।
चेतक पर जब बैठ समर में ,महावीर था आया।।

हल्दी घाटी की ज्वालाएँ,सच में बहुत प्रबल थीं।
भीलों की सेनाएँ ही तो,राणा का सम्बल थीं।
नहीं झुका राणा का सिर पर,भूखा रहना भाया।
राजपूत की शान देखकर,पर्वत भी हर्षाया।।

जंगल रहकर,घास-चपाती,खाना भला लगा था।
महाराणा में अतुलित साहस,स्व-अभिमान जगा था।
भामाशाही योगदान से,नया तेज पाया था।
छोटी सेना,ताप प्रखर पर,भीतर फिर आया था।।

चेतक ने भी अतुल पराक्रम,उस क्षण दिखलाया था।
पर वह निज कर्तव्य निभाकर,स्वर्गलोक धाया था।।
किंचित भी राणा प्रताप पर,पल भर नहिं घबराए थे।
व्यापक सेना थी दुश्मन की ,पर गति से वे धाए थे।।

हल्दी घाटी समर कह रहा,ऐसा वीर न दूजा।
जिसको हमने हर युग में ही,श्रद्धा से है पूजा।।
शौर्य,तेज और बलिदानों की,जो है जीवित गाथा।
आदर से झुक जाता हर जन,झुक जाता है माथा।।

महाराणा मेवाड़ी चोखे,थे भारत की गरिमा।
अरावली का कण-कण कहता,उनकी स्वर्णिम महिमा।।
राजपूत की शान का परिचय,राणा से मिलता है।
ऐसा वीर बहादुर योद्धा,हर दिल में रहता है।।

मध्ययुगी इतिहास के पन्ने,राणा का यश कहते।
गीतों,कविताओं में गौरव,
सबके जज़्बे बहते।।
 सच में,कालजयी महाराणा,दिव्य तेज के स्वामी।
त्याग,शौर्य लेकर गाथाओं,में हैं जो अभिरामी।।

सुख,वैभव का त्याग करो,पर आन कभी नहिं तजना ।
जिनने की गौरवगाथा के, नए मूल्य की सृजना।।
उन महाराणा के प्रताप को, ‘शरद’ नमन है करता।
मातृ-वंदना जो उनने की,श्रद्धा से मन भरता।।










   शरद नारायण खरे
         मंडला

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