( स्वैच्छिक दुनिया ) कानपुर :- मानव ईर्ष्या कितनी ज़बरदस्त होती है, कि वह अपने की ही जीवन लीला समाप्त कर सकती है। कुछ इसी तरह की पीड़ा 109 गांधी ग्राम थाना चकेरी, कानपुर नगर निवासी श्रीमती मिथलेश सिंह पत्नी अजीत सिंह का पूरा परिवार झेल रहा है। श्रीमती मिथलेश ने वार्ता के दौरान बताया कि उनके छोटे बेटे रजत सिंह जो बीजेपी का महामंत्री था व सतीश महाना के कार्यालय में कार्यरत था। महाना जी उसको सबसे अधिक प्यार करते थे , जो बाद मेंउसी का काल बन गया, को 31 आक्टुबर, 21 को बुखार आ गया तो वह टहलता हुआ कांशीराम अस्पताल दवा लेने गया डॉ पीयूष मिश्रा ने साधारण बुखार की दवा देकर अगले दिन जांच करने को कहा। अगले दिन रजत पैदल चलकर अस्पताल गया, उसकी जाँचे हुई जिसमें डेंगू, कोरोना, आदि कुछ नहीं निकला, केवल टायफाइड बताया और उसे भर्ती कर लिया। यही जाँच रिपोर्ट बाद में कोर्ट में जज के सामने लगाना पड़ा।
मिथलेश ने बताया कि जब वह भर्ती था तो उसने खिचडी की मांग की तो वह घर चली गयी।जब मैं लौटी तो आस-पास के लोगों ने बताया कि पांच लड़के आए थे, जिनमें दो नर्स और कर्मचारियों से दूर पर बातें कर रहे थे तथा अन्य तीन रजत को मिठाई खिला रहे थे, बेटे के पूछने पर कहा कि एक साथी ने दूकान खोली है।
मिठाई खाने के बाद रजत की तबियत बिगड़ने लगी, उल्टियां होने लगी तबतक मां खिचडी लेकर आ गई थी। माँ ने उपस्थित नर्स को बुलाया , उसने आकर इंजेक्शन लगाया जिसके बाद तबियत अधिक बिगड़ने लगी। उन लोगों ने किसी को शक न हो इसलिए एक पेड़ा पास की छोटी लड़की को भी दिया, उसकी भी तबियत बिगड़ने लगी तो उसे भी हैलट भेजा।
मां ने महाना जी को फोन पर बताया तो उन्होंने कहा हैलट न ले जाओ इसे रीजेंसी ले जाओ, जो भी पैसा लगेगा मैं लगाऊँ गा।
रीजेंसी में भी उन्हीं लड़कों का आना जारी रहा। रीजेंसी में इलाज में घोर कोताही बरती गई। बेटे ने आखिरी सांस 4 नवम्बर,21 को लेली। बेटे का शरीर काला पड़ गया था, मैं पोस्टमार्टम करवाना चाहती थी, उन लोगों ने नहीं होने दिया। मैं बेटे के न रहन पर बेहोश हो गई थी।आनन-फानन में बिना किसी घर वाले की अनुमति से सिद्धनाथ घाट, जाजमऊ में उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
मुझे पूरा यकीन है कि मेरे बेटे की हत्या आलोक तिवारी, विनायक शंकर अवस्थी, अभिषेक शुक्ला, दो अज्ञात लोगों के साथ कांशीराम अस्पताल के नर्स व कर्मचारी आदि।
कोर्ट के आदेश पर चकेरी पुलिस ने धारा- 302 , 201, और 328 में प्राथिमिकी लिख ली लेकिन विवेचना अधिकारी सत्यप्रकाश यादव ने अब तक कुछ नहीं किया। मैं अपील करती हूं कि मेरे बेटे की मौत की तहकीकात सीबीआई के द्वारा कराई जाय और मुझे व मेरे परिवार को न्याय दिलाया जाय।पूरे परिवार को कुछ दिनों से धमकियां मिल रही हैं कि इन सभी लोगों के नाम हटवा दो अन्यथा बुरा अंजाम भुगतने को तैयार रहना।
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