"बेफिक्री"
तरु शाखा पर बैठा पंछी, नाच-नाच कर गाता है!. काठ फोड़ता कठ-फोड़वा भी, ताल से ताल मिलाता है!!. चीखुर-शिशु वृक्ष शिखा तक, सरपट दौड़ लगाते हैं!. टिकू-टिकू आवाज कर, प्रतिद्वंदी को चिढ़ाते हैं!!. प्रबल शाख पर माँ उनकी, लेटे आराम फरमाती है!. आँख मूँद निश्चिन्त होकर, पवन आनंद उठाती है!!. कभी तेज आवाज में, बच्च…