महर्षि वाल्मीकि जी
संस्कृत भाषा के आदि कवि रामायण रचकर पाई जग छवि । कश्यप ऋषि-माता चर्षणी पुत्र रत्नाकर से बने वाल्मीकि ऋषि।। महर्षि नारद से मिला ऐसा ज्ञान लूटपाट का मार्ग छोड़,जपा राम । समझाया जग को राम चरितार्थ जीवन होय सफल जपे जो नाम ।। बिरले ही मिलते है ऐसे तपस्वी जिसे नमन करता गगन से रवि। दीमक घर बन गया तप…