आओ मनाएं विश्व पृथ्वी दिवस धरा को संकट से बचाए
अनंतानंत ब्रह्मांड में अनेकों सृष्टियों का वर्णन हमारे पुराणों एवं सहिंताओं में किया गया है। इन्ही अनंतानंत ब्रह्मांड के अंदर कई सृष्टियां है परंतु मृत्युलोक की पृथ्वी जैसा जीवन और वनस्पतियां अन्यत्र कहीं नहीं है । तभी देवांगनाएँ एवं देवगण भी पृथ्वी के मनमोहक दृश्य को देखने कई बार धरती पर उतरे हैं। यहां हिमालयादि सप्त विशाल पर्वत , हिममयी पर्वत श्रृंखलाएं, गंगा गोदावरी जैसी पावन नदियां , अनेकों ऐसे दुर्लभ संयोग वाली चीजे एवं प्राणदायिनी वनस्पतियां है जो अन्य लोकों में नहीं है ।

● विनाश के दोराहे पर हमारी पृथ्वी

परन्तु आज हमारी पृथ्वी विनाश के दोराहे पर खड़ी है । अनेकों दुर्लभ प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर है। धरती के भू-गर्भ में अनेको खनिज पदार्थ भी घटते जा रहे हैं । वृक्षों का भारी मात्रा में कटाव होने से जहां हिमखंड अपनी जगह से खिसकते जा रहे हैं वहीं मानव को शुद्ध वायु का मिलना मुश्किल हो गया है । मानव अपने निजी स्वार्थ के लिए इस विनाश को अंजाम देने से तनिक भी कतराता नहीं है ।

●जिस पृथ्वी को कई बार भगवान ने असुरों के आतंक से बचाया आज उसी पृथ्वी को प्रचण्ड क्षति पहुंचाकर मानव पीछे नही हट रहा।

आज के मानव ने शैतान का विकराल रुप धारण कर लिया है । दिन प्रतिदिन जंगलों के अंधाधुंध कटान एवं जंगलों को आग के माध्यम से भारी क्षति पहुंचा रहा है । 

● पर्यावरण पर असर

जंगलों के कटाव से अकाल पड़ना, भारी वर्षा, समय से वारिश न होना । तूफान भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का परिणाम हर दिन धरती के किसी न किसी हिस्से में होता रहता है। इससे पर्यावरण के जलवायु चक्र पर गहरा असर पड़ा है । जैसे जैसे हम जंगलों के कटाव करते जा रहे हैं वैसे वैसे हम शुद्ध वायु के लिए तरस रहे हैं । साथ ही जंगलों के अत्याधिक कटाव से न जाने कितने तरह की वन्य प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर है । पिछले कुछ वर्षों में हम देख रहे हैं कि हमारे सामने एक गम्भीर समस्या आ गयी है वह है असमय मानसून का आना और प्राकृतिक आपदाओं का भयंकर रुप ।

● पृथ्वी का संरक्षक 

पृथ्वी के सभी प्रकार के पदार्थो वनस्पतियों के संरक्षणार्थ 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस  मनाया जाता है । बहुत से देश इस दिवस को महता देते हैं । हम अगर प्रतिवर्ष 10 वृक्ष भी लगाते हैं तो ये पर्यावरण के लिए बेहद सहायक सिद्ध होगा । जंगली जीवों के शिकार को रोककर हम उन दुर्लभ प्रजातियों को खत्म होने से बचा सकते हैं जो आने वाले वर्षों में सिर्फ इतिहास के पन्नों पर चित्रवत रहने वाले हैं । जब जंगलों के अनावश्यक कटाव रुकेगा तब फिर से हम शुद्ध वायु से मानव जीवन पर होने वाले दुष्प्रभाव से बच सकते हैं। 

 




              राज शर्मा



  • किसी भी प्रकार की खबर/रचनाये हमे व्हाट्सप नं0 9335332333 या swaikshikduniya@gmail.com पर सॉफ्टमोड पर भेजें

  • स्वैच्छिक दुनिया समाचार पत्र की प्रति डाक से प्राप्त करने के लिए वार्षिक सदस्यता (शुल्क रु 500/- ) लेकर हमारा सहयोग करें

  • साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधिब्यूरो चीफरिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।

  • कृपया यह ध्यान दे की कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि 500 शब्दों से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा

  • कृपया अपनी रचना के साथ अपना पूरा विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो अवश्य भेजें।