अनेक रूप नारी के

जगत् की पहचान है नारी, समाज का एहसान है नारी
घर की आन-बान है नारी,सबसे बड़ा मां का रूप है नारी।

घर का सम्मान होती नारी, घर  को स्वर्ग  बनाती नारी
कांटे जितनी कठोर होती नारी, धर्म-कर्म से बंधी है नारी।

अपनों का एहसास है नारी, सबकी परवाह करती है नारी 
अपनों की खुशी में, सब कुछ त्याग करने वाली है नारी।

नारी की है ऐसी सूरत, सब की खुशियों को समेटे है नारी
सब का अभिमान है नारी, भारत का गुण- गौरव है नारी।

जिसने भारत को ऊंचा उठाया, वह परम वीरांगना है नारी
काँटों जितनी कठोर होकर भी,फूल जैसी कोमल है नारी।

हर क्षेत्र में अव्वल है नारी,बिन नारी खुशियां सूनी है सारी
सब का सौभाग्य है नारी, देश-समाज का वरदान है नारी।

परिवार का  मान  है नारी, समाज  की  मर्यादा है नारी
अपनों के लिए सब कुछ त्याग-बलिदान करती है नारी।



                  उषा शर्मा 'मन'



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