बागों में बहार है 
धरती पर बाग और वन

आन बान और शान,

सुन्दरता ही इसकी पहचान 

चहुँ ओर विखरे मुस्कान।

 

महकते महुआ और लाह 

उँचे लिप्टस की अंगडाई 

पर्वतो के बीच झूमे बाग मतवाली 

लुभाते पलास के फूल रंग बिरंगे 

बागो में अदभूत लगे फूलो की डाली  ।

 

लहलहाते ऊँचे-नीचे खेतों की हरियाली

जब  आती मस्त बादल घटा वाली

खूब निखारते ऊँचे पहाड़ और झरने 

देख इसकी सुन्दरता प्रकृति भी शर्माती।

 

होते मेहनत इन पर बहुत

दिन भर करने पड़ते काम

शाम होते ही देखो पत्ता भी 

मस्ती में झूमने लगता 

यही तो बागों की सुन्दरता।

 

रात होते ही दिलकश नजारा दिखता

मौसम अपना रूख बदलने लगता

चाँदनी रात में खुशगवार मौसम

दिन की थकान को भगाता 

यही तो अपना बाग मतवाला ।

 

ऊँचे-नीचे टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर चलना

पर्वतों के बीच गुजरना

सभी को मंत्र मुग्ध कर जाता

जो बागो में जाता उसी का हो जाता 

यही तो अपना बनाता है।

 

जनकल्याण से भरा

संतोष से रहता हरा-भरा

जिधर देखो नजर आए

सुन्दर दिलकश नजारा

बाग बुलाये हमेशा दुबारा।

 


                  "आशुतोष"



  • किसी भी प्रकार की खबर/रचनाये हमे व्हाट्सप नं0 9335332333 या swaikshikduniya@gmail.com पर सॉफ्टमोड पर भेजें

  • स्वैच्छिक दुनिया समाचार पत्र की प्रति डाक से प्राप्त करने के लिए वार्षिक सदस्यता (शुल्क रु 500/- ) लेकर हमारा सहयोग करें

  • साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधिब्यूरो चीफरिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।

  • कृपया यह ध्यान दे की कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि 500 शब्दों से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा

  • कृपया अपनी रचना के साथ अपना पूरा विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो अवश्य भेजें।