भारत देश में नियम-कानून किसके लिए

भारत देश में एक आम व्यक्ति का जीवन मुश्किलों से भरा होता है। प्रत्येक दिन वह अपने जीवन के लिए संघर्ष करता है। ताकि उसके परिवार को भोजन मिल सकें। जरूरते पूरी करने का संघर्ष तो बहुत बाद का है। इतनी मुसीबतों के बाद भी जीवन को जीने की लालसा बनीं रहतीं हैं। बस यही एक गरीब व्यक्ति की जिंदगी है भारत में।


वहीं दूसरी ओर हमारे देश के अमीर लोग हैं जिनकी ख्वाहिश ज़बान पर आने से पहले ही पूरी हो जाती है। इतना पैसा और कामयाबी वह पा चुके हैं। यही कामयाबी उन्हें हम से अलग ही नहीं करतीं हैं, वी.आई.पी. भी बना देती हैं। जिसका फायदा यह लेने से कभी चुकते नहीं है। धार्मिक स्थल हो या अन्य कोई स्थान वह वी.आई.पी बन कर वहां की सुविधा का लाभ ही नहीं उठाते,  बल्कि अपने मन चाहे कार्यों को अंजाम भी देते है। जिनका विरोध आम तौर पर हम और आप नहीं करते है।


पूरे देश में कोरोनावायरस का कहर जिसके चलते सभी को घर से बाहर निकलने के लिए मना किया जा रहा है। यदि कोई बाहर आता है, तो उसे पुलिस द्वारा सजा दी जाती है। दिन रात अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं, लोगों को घर में रखने के। जिसके चलते खेतों में लगीं किसानों की ख़राब होती फसल देखने को मिल रही है। प्रत्येक स्थानो पर मजदूरों और गरीब तबके के लोगों के पास कोई कार्य ना होने के कारण लोग भूख से परेशान हैं। फिर भी सभी लोग यह सोच कर सहन कर लें रहें है कि देश के लिए और देश के लोगों के लिए यह हमारा फर्ज है।


जहां एक ओर आम लोग है जिन्होंने खुद के दुख को गिनना छोड़ दिया है। कोरोनावायरस से लडने में अपना योगदान देने के लिए। खुद के नुक़सान को भी सहन कर लें रहें है। वहीं दूसरी ओर हमारे देश के वह नेता है। जिन्होंने इस देश से, इस देश के पैसे से सुविधाएं और विशेषताएं लेते हुए कभी यह नहीं सोचा की अगर वह यह पैसा छोड़ दें, तो कितने लोगों को लाभ हो सकता है। हर प्रकार की अपनी ख्वाहिशों को पूरा करते हुए एक सम्पन्न जीवन जीने वाले नेता।


कोरोनावायरस के कहर के समय में दान देने के नाम पर आम लोगों का ही पैसा आम लोगों को देते नजर आए। किसी के भी द्वारा यह नहीं सोचा गया कि अपनी सम्पत्ति में से दान दिया जाएं या फिर उन्हें प्राप्त होने वाली तनख़ा को ही कुछ समय के लिए छोड़ दिया जाएं ताकि देश की कुछ मदद हो सकें। बस कोशिश की गई महान बनने की इंसान बनना क्योंकि हमारे यह लोगों को आता ही नहीं है।


यही नेता जब अपने बच्चों की शादी करते हैं तो करोड़ों खर्च करतें हैं। पैसा पानी की तरह बहाया जाता है इनके बच्चों की शादियों में। इस पर कभी कोई रोक टोक भी नहीं लगाईं जाती है। मिडिया द्वारा भी ऐसी शादियों की खबर को बड़े तौर पर दिखाया जाता है। 


ऐसी ही एक शादी मार्च में हुई जिसे हमारे देश के न्यूज चैनल और अखबारों ने खूब दिखाया। बस उस समय कोरोनावायरस भारत में शुरूआती तौर पर, इसलिए किसी का ध्यान इस बात पर नहीं गया कि उस शादी से आएं बड़े पैमाने पर लोगों के बीच कोई दूरी होना तो दूर। वह नेता जिसके बेटी की शादी थीं सभी से गले लग-लग कर मिल रहा था।


ऐसी ही एक बड़े नेता के बेटे की शादी कुछ दिनों पहले फिर से हुई। जिस शादी में हजारों लोग तो नहीं आएं लॉक डाउन के चलते। किन्तु इस शादी में भी सौ से अधिक लोगों का पहुंचना और फिर सोशल डिस्टेंस जैसे जरूरी नियम का कोई पालन नहीं किया गया। मास्क और सेनिटाइजर का प्रयोग करना भी किसी को ज़रूरी नहीं लगा।


एक बार जहां आम लोगों द्वारा देश की और अपनी भलाई समझ कर अपने सभी जरूरी कार्य को टाल दिया गया है। बहुत से लोगों ने शादी की तारीख को भी रद कर दिया है या फिर कर रहे हैं तो बहुत ही कम लोगों के साथ। सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करतें हुए। अपनी ओर बाकी लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, मास्क और सेनिटाइजर का प्रयोग कर रहे हैं। एक दूसरे से दूरी बना कर रख रहे हैं। खुद को सेनीटाइज कर शादी की सभी रस्मो को पूरा कर रहें हैं।


देश के बड़े वी.आई.पी कहें जाने वाले नेता यदि नियमों का पालन ना करने की तस्वीर देश के सामने रखेंगे तो फिर सोचिए उन सभी आम और गरीब तबके के लोगों का क्या होगा। जिन्होंने इस मुश्किल समय में अपना धैर्य और समझदारी दिखा कर देश की मदद करने का फैसला लिया है।


बनाएं गए नियमों का पालन करना क्या इस देश के आम लोगों का कार्य है। वी.आई.पी कहें जाने वाले वर्ग के लोगों को क्या किसी नियम-कानून को मानने की जरूरत नहीं होती है। आज का समय है यह विचार करने का कि देश के वी.आई.पी खास हैं इस देश के या फिर वो आम लोग जो हर परेशानी की घड़ी में इस देश के लिए खड़े रहते हैं।



                राखी सरोज



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