भारत माँ की गोद में एक सैनिक की कहानी 
बहुत आसान है कहना मैं भी देश के लिए जान दें सकता हूँ 


बेपाक जैसे देशों का बेवक्त वो वार सह सकता हूँ 

साँसे रूक सी जाती है कश्मीर की उन बर्फीली वादियों में 

पर इस सैनिक की आह तक किसी को कहाँ नज़र आती हैं 

बहन की राखी और माँ का आँचल तो घर ही छोड़ आएं 

हम तो अपनी पुरी जवानी भारत माँ को सौंप आएं 

दुनियाँ के इस समंदर में जन्म तो दिया है मुझको मेरी माँ ने 

पर मैं अपनी माँ का नहीं भारत माँ का बेटा हूँ 

किसका जन्म कहाँ होता है ये पता किसी को कहाँ होता हैं 

ख़ुशनसीब होते है वो लोग जिनका नाम श़हीदो में शुमार होता

हैं

 


मनीष कुमार 



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