तुम्हें पाकर ये मेरा दिल हुआ है बेसबर ऐसे
तुम्हारे होंठ से शबनम की बूंदें गिर रही जैसे
हमारी याद में बसता है जो इक अस्क तेरा है
तुम्हारे पास मैं आऊँ कभी मैं ख्वाब के जैसे
तुम्हें पाकर ये मेरा दिल हुआ है बेसबर ऐसे
तुम्हारे होंठ से शबनम की बूंदें गिर रही जैसे।
तुम्हारी गेसुओं की छाँव में बस जाऊँ मैं ऐसे
तुम्हारे प्यार के पनाह में छुप जाऊँ मैं जैसे
हमारे पास तुम हो बस इसी इक बात से खुश हूँ
तुम्हारा प्यार रूहानी है इक अहसास के जैसे
तुम्हें पाकर ये मेरा दिल हुआ है बेसबर ऐसे
तुम्हारे होंठ से शबनम की बूंदें गिर रही जैसे।
तुम्हारे नयन चंचल की चमक में खो गया दिल ये
तुम्हारे चाँद से मुखड़े ने घायल कर दिया मुझको
तुम्हारे होंठ के मकरंद से मदहोश हूँ ऐसे
तुम्हारी हर अदा हर चाल ने घायल किया जैसे
तुम्हें पाकर ये मेरा दिल हुआ है बेसबर ऐसे
तुम्हारे होंठ से शबनम की बूंदें गिर रही जैसे।
तुम्हारे केश काले ये जनक हैं वारिधर के तो
तुम्हारी आँख के काजल से है छायी घटा जैसे
तुम्हारा रूप ये सौंदर्य तो है चाँद पूनम का
ये "गौरव" जो तुम्हारा है तुम्हारे प्रीति के जैसे
तुम्हें पाकर ये मेरा दिल हुआ है बेसबर ऐसे
तुम्हारे होंठ से शबनम की बूंदें गिर रही जैसे।
सुनील त्रिपाठी "गौरव"
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