एक कोशिश

एक कोशिश


 


हर दिन कुछ नया  सा अलग है,
और हर रात है अलग सी उदासी।


खुदा कर आज रहमत की बारिश,
प्यासा आसमाँ औ प्यासी धरा भी।


तेरा नूर तो है फ़िज़ाओं में बिखरा
कर आज रौशन ज़िंदगानी हमारी।


कहाँ तक सहेंगे सितम ओ  सितमगर,
बर्दाश्त की न है ताकत धरा सी।


करो तुम दुख दूर इस जहाँ के,
होठों पे आये मुस्कुराहट ज़रा सी।



स्वर्णलता
स्वरचित