ग़ज़ल
करोना के  कई मुजरिम ये सच जब जान लेते हैं।

किसी इक धर्म पर ही क्यूँ  निशाना  तान लेते हैं।

 

भरोसेमंद  साथी  बिन  अकेले  ही  चले अक्सर,

नहीं हरगिज़  कोई  भी  साथ में  नादान  लेते हैं।

 

दिल उसका तोड़ने की सोचनाभी पापकी मानिंद,

भले नुकसान हो  कितना  भी  बातें  मान  लेते हैं।

 

नहीं होती  ज़रूरत ही  दिमाग़ी  कसरतों की कुछ,

किसी  भी  रूप  में  आये  सनम पहचान  लेते हैं।

 

क़दम पीछे नहीं करते नफ़ा नुक़सान हो कितना,

कोई भी काम करने की जो दिल में ठान लेते हैं।

 


                     हमीद कानपुरी



  • किसी भी प्रकार की खबर/रचनाये हमे व्हाट्सप नं0 9335332333 या swaikshikduniya@gmail.com पर सॉफ्टमोड पर भेजें

  • स्वैच्छिक दुनिया समाचार पत्र की प्रति डाक से प्राप्त करने के लिए वार्षिक सदस्यता (शुल्क रु 500/- ) लेकर हमारा सहयोग करें

  • साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधिब्यूरो चीफरिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।

  • कृपया यह ध्यान दे की कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि 500 शब्दों से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा

  • कृपया अपनी रचना के साथ अपना पूरा विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो अवश्य भेजें।