अब रौशनी को और सताया न जायेगा।
जलता हुआ चराग बुझाया न जायेगा।
मग़रूर अब किसी को बनाया न जायेगा।
जो जा चुका है उसको बुलाया न जायेगा।
अम्नो सुकून हो न सकेगा यहाँ कभी,
जब तक अना को मार भगाया न जायेगा।
क्यूँ आईने को तोड़ने की होे रही है बात,
हमसे तो आईना भी दिखाया न जायेगा।
उनकी ज़मीन छोड़ चुके हैं हमीद पर,
यादोंको उनकी दिलसे भुलाया नजायेगा।
हमीद कानपुरी
- किसी भी प्रकार की खबर/रचनाये हमे व्हाट्सप नं0 9335332333 या swaikshikduniya@gmail.com पर सॉफ्टमोड पर भेजें।
- स्वैच्छिक दुनिया समाचार पत्र की प्रति डाक से प्राप्त करने के लिए वार्षिक सदस्यता (शुल्क रु 500/- ) लेकर हमारा सहयोग करें।
- साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधि, ब्यूरो चीफ, रिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।
- कृपया यह ध्यान दे की कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि 500 शब्दों से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा।
- कृपया अपनी रचना के साथ अपना पूरा विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो अवश्य भेजें।