स्याह रात में तू रोती है,मैं रोता हूँ दिन के उजियारे में,
ये दुनिया वाले क्या जानें ? यार हम दोनों के बारे में!
एक तेरी ही यादों में,मैं तो अक्सर ही खोया रहता हूँ,
खुश हो जाता है दिल जब तू दिखती है गलियारे में!
नींद हो चुकी है गायब अब तो,रात-रात भर आखों से
कर रहा चांद में दीदार तेरा,तू देख रही मुझे तारे में!
दिल से दिल के रिश्ते जुड़ जाते हैं बड़ी आसानी से,
एक दूजे को ही सोचते रहते खड़े-खड़े अंगनारे में!
दोनों को ही जुदा कर सके वो हिम्मत नहीं जमाने में,
चाहे लाख जुर्म कर लें सब , मुझमें और तुम्हारे में!
आशीष तिवारी निर्मल
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