न तो पंख होगा न होगा खुला आसमान,
मगर होगा एक रास्ता और होगी एक मंजिल,
न होगा कोई साथी और न होगा कोई भी अपना,
मगर जारी रखना अपने हौसलों की उड़ान।
बिजली चमके या हो तेज बरसात,
ओले गिरे या आ जाये कोई झंझावात,
लाख मुश्किलों को झेलकर भी ऐ राही,
जारी रखना तुम अपने हौसलों की उड़ान।
आग का दरिया क्यों न आ जाये,
चाहे होने लगे शोलों की बौछार,
न रुके थे कभी न रुकना तुम कभी,
हमेशा जारी रखना अपने हौसलों की उड़ान।
चाहे कोई फेंके कितने ही कंकड़ और पत्थर,
चाहे कोई बोये कितने ही बबूल और कीकड़,
सभी को अपने पैरों का धूल बनाकर,
जरूर जारी रखना अपने हौसलों की उड़ान।
रास्ते के कांटों को फूल बनाकर,
तपते हुए सूरज को छांव बनाकर,
अपने संकल्प को अपना हथियार बनाकर,
जरूर पूरी करना तुम अपने हौसलों की उड़ान।
बिप्लव कुमार सिंह
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