कर्मवीर की जीवन गाथा
रही बड़ी संगीन है
हर झंझा हर विपरित शै में
खुद को जल सा ढ़ाल दे
रक्षक बनकर पीड़ा हरते
परवाह खुद की परे रखे..
आज फैल रही दशौ दिशा से
महामारी भयदायिनी
कंपा रही करोना की कालिख़
हर तन को रममाण घिरे
कर्मवीर घर-घर को घेरे
पर्वत सा सीना तानके..
रक्ष रहे तुरपाई बनकर
उस पर पत्थर से वार करे
निर्लज से इंसान बन गए
इंट पत्थर के व्योम बने
अमानुषिकता की चरम कहे
या आदमखोर की वहशियत..
मन आहत सा विमर्श करे
किस विध कोसे कोरोना को
जब देश में दीमक से बिमार पड़े
दवा करे क्या कोरोना की
जन मानस ही संक्रमण का
ज़िंदा मरघट घाट बनें।।
भावना ठाकर
- किसी भी प्रकार की खबर/रचनाये हमे व्हाट्सप नं0 9335332333 या swaikshikduniya@gmail.com पर सॉफ्टमोड पर भेजें।
- स्वैच्छिक दुनिया समाचार पत्र की प्रति डाक से प्राप्त करने के लिए वार्षिक सदस्यता (शुल्क रु 500/- ) लेकर हमारा सहयोग करें।
- साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधि, ब्यूरो चीफ, रिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।
- कृपया यह ध्यान दे की कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि 500 शब्दों से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा।
- कृपया अपनी रचना के साथ अपना पूरा विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो अवश्य भेजें।