आज कोरोना का संकट पूरी दुनिया में व्याप्त हो चुकी है फिलहाल ऐसा माना जा रहा है कि भारत में कोविड 19 का खतरा सामुदायिक स्तर पर नहीं फैला है दोस्तों संविधान के अनुच्छेद 21 में प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण की बात कही गई है इसी को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि कोरोना संकट से निपटने के लिए चल रहे लॉकडाउन के दौरान स्वतंत्रता और सम्मान के साथ जीवन जीने के अधिकार का ध्यान रखा जाए जैसा कि मानवाधिकार आयोग ने कहा हैं की लॉक- डाउन को प्रभावी ढंग से लागू करने को लेकर सरकारी कर्मचारी और पुलिसकर्मी बहुत ज्यादा दबाव में होते हैं ऐसे में दोस्तों यह सच है कि कई बार गरीब और अनजान मजदूरों के प्रति बहुत सख्ती से हमारे पुलिसकर्मी व्यवहार करते हैं लेकिन जैसा दोस्तो हमने देखा देश के अलग-अलग हिस्सों में पुलिसकर्मियों चिकित्सा कर्मियों ,पर अभद्रता पूर्वक व्यवहार किया गया क्या यह उचित है? आज दोस्तों कहीं ना कहीं कोरोना वरीयर्श भगवान का दूसरा रूप बनकर हम सबके लिए दिन रात तत्पर हैं चाहे पुलिसकर्मी हो चिकित्सा कर्मी हो या सफाई कर्मी हो लेकिन देश के कई सारे जगहों से देखने में आया है कि स्वास्थ्य कर्मियों पुलिसकर्मियों पर कुछ देश के अराजक तत्वों ने हमला किया जोकि असहनीय है यह सच है कि संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन व स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है स्वतंत्रता और सम्मान के साथ जीने के अधिकार का हमें ध्यान रखना होगा कई बार गरीब और अनजान मजदूरों के प्रति अनजाने में पुलिसकर्मी सख्त हो जाते हैं उनका ध्यान व उनके अधिकारों का ध्यान हमें रखना चाहिए लेकिन जो अराजक तत्व है उनके साथ सख्ती के साथ व्यवहार करने की जरूरत है अब दोस्तो वैसे मानवाधिकार आयोग ने भी केंद्र सरकार की तारिफ कि है कि कोरोना महामारी से उपजी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए सरकारी तंत्र पूरी गंभीरता से काम कर रही है दोस्तों जहां तक हम सब देख रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान पुलिस बहुत सख्ती से काम कर रही है नैतिक रुप से करने की जरूरत भी है जैसा कि हमने देखा दोस्तों पिछले दिन एक पुलिसकर्मी का हाथ काट दिया गया था अराजक तत्वों के द्वारा ऐसे लोगों को कभी माफी नहीं दी जा सकती है नहीं देना चाहिए वैसे पुलिस अपनी नैतिक रूप से और स्वास्थ्य कर्मी सफाई कर्मी अपने कार्यों को पूर्ण कर रहे हैं फिर भी कुछ क्रूर लोगों को भी ध्यान रखने की जरूरत है जो लोग बिना पढ़े लिखे हैं और गरीब दिहाड़ी मजदूर हैं वह खाने वाली चीजों की कमी के कारण बहुत परेशानी झेल रहे हैं उनसे उदारता के साथ पेश आना चाहिए उन पर बल प्रयोग या कूरूता नहीं की जानी चाहिए कृषि प्रधान देश भारत के कृषक के मेहनत से उपजी हुई अनाज ही खा रहे हैं हमसब हमें कभी भी किसान और किसानों के बच्चों के मेहनत को हल्के में नहीं लेना चाहिए किसानों के उत्थान के लिए भी हर स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है दोस्तो वैसे कई जगह की तस्वीरें हम सब ने देखा कि पुलिस वाले ही ऐसे असहाय लोगों तक पहुंच कर खाने पीने की व्यवस्था कर रहे हैं फिर भी संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार स्वतंत्रता और सम्मान के साथ जीने के अधिकार का हमें हर एक नागरिक का ध्यान रखना चाहिए ll"खुद भूखा रहकर किसी को खिलाकर तो देखिए, कुछ यूं इंसानियत का फ़र्ज निभाकर तो देखिए!! ""
विक्रम क्रांतिकारी
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