कोरोना



जबसे आया कोरोना दुनिया में, 

लोग अपने अपनों को भूलें गए हैं,। 

 

ये कैसी है विकट महामारी, 

घरों से निकलने में मजबूर हो गए हैं। 

 

ऐसी स्थिति सामने आ गयी है, 

एक दूसरे से बात करने में डर रहे हैं। 

 

रात गुजरती सपनों की सफर से, 

दिन गुजरता है कोरोना की खौफ से। 

 

कब तलक ये रहेगा कोरोना, 

ना जाने अपने भारत महान देश में। 

 

मजदूर हो गए पलायन करने पर मजबूर, 

किसी से अपनी व्यथा को नहीं कहते। 

 

सब बरतें सावधानी रहें अपने अपने घरों में, 

ईश्वर चाहें तो मिलेगी हमें जीत, 

कोरोना को हार जरुर मिलेगी। 

 

आओ हमसब मिलकर दिल में यह ठाने,

कोरोना को हमसब मिलकर हराएंगे। 

 

संकल्प लें हमसब धर्मों के नाम, 

कोरोना महामारी को नहीं बाटेंगे। 

 

ये महामारी किसी धर्मों को नहीं देखती, 

मुस्लिम हो या हिंदू सिख हो या ईसाई, 

इस महामारी की चपेट कोई भी आ सकता। 

 

फिर क्यों कोरोना को जिहाद बताते हैं, 

आपस में लड़कर सौहार्द को बिगाड़ते हैं। 

 

हमसब मिलकर ही कोरोना को हरा पायेंगे, 

इसलिए है विनती लॉकडाउन को सफल बनाएं। 

 

अपने अपने घरों में वंदना करें, 

ईश्वर ये नहीं कहता जान को, 

जोखिम में डालकर हमें ईबादत करों तुम,

पहले अपनी जानों को इससे बचाओ तुम, 

फिर मेरे दरबार में ईबादत करने आओ तुम।

 

हमसब की मेहनत बेकार कभी नहीं जायेगी, 

ईश्वर जरुर हमें मेहनत का फल देगा, 

 

कोरोना को हमसब जरुर भगायेंगे, 

जीत मिलेगी तो अवश्य एक दूसरे को गले लगाएंगे। 

 


              मो. जमील



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