अभी कोरोना की बारी है,
पर आगे जीत हमारी है ।
काली कोरोना की रात के आगे,
सुबह स्वप्निल सुहानी है ।
माना कुछ हैं अपने जो छूट गए,
पर अमिट यादें उनकी बाकी हैं।
आने वाले समय में,
कई प्यारे रिश्तों की कहानी है ।
शायद कोरोना के रूप में,
प्रकति ने सबक सिखाने की ठानी है।
तभी तो पिंजरे मे कैद है आदमी,
और पशु पंछी आजाद प्राणी है ।
कोरोना के इस दौर में सबने,
रिश्तों की अहमियत जानी है ।
कौन अपना कौन पराया,
विश्व बंधुत्व की भावना छाई है ।
आने वाले नये सवेरे में,
गलतियां ना दोहराने की ठानी है ।
अभी कोरोना की बारी है,
पर आगे जीत हमारी है ।
- डॉ नेहा सक्सेना
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