क्रूर होती समाज
उस बंदे को मंदिर की चार दिवारी में रब क्या मिलेगा जिसे इंसान में इंसान नहीं दिखा हद है वहशियत की, समाज कहाँ जा रहा है?

बिना कोई गलती के साधु संतों का लाठी ओर पत्थर मारकर कत्ल कर देना क्या दर्शाता है मन आहत हो जाता है की हम कैसे समाज में जी रहे है, हिन्दुओं की जान क्यों इतनी सस्ती बन गई है पुलिस खड़ी-खड़ी तमाशा देख रही है।

कौन से चोर गाडी में आते है नाराज़गी का सबब तो मालूम हो या फिर धर्मांधता ओर कट्टरवाद कहे ? भगवा देखकर टूट पड़ो, एसी धर्मनिरपेक्षता ओर अहिंसा आम इंसान ओर देशप्रेमी के गले नहीं उतरती, 

आज साधु को मारा कल राह चलते हम जा रहे होंगे तब क्या पता हम भी मारे जाएँ, हमारे देश की नींव में शांति ओर साहचर्य का भाव है पर लगते है दीमक लग गई है शायद उपाय ना किया गया तो इमारत ध्वस्त होती नज़र आएगी ओर हम नि:सहाय से देखते रहेंगे।

भारत भूमि में हो रही निहत्थे संतों की हत्या हमारे आत्मसम्मान ओर संस्कृति पर करारा तमाचा है जो संत संस्कृति के रक्षक है उनका ही जाहिल लोगों द्वारा भक्षण हो रहा है। युगों से चली आ रही है परंपरा पहले भी राक्षस गुरुओं ओर साधु संतो के यज्ञ में बाधा डालते थे कत्ल कर देते थे ओर कितनी सदियों तक चलता रहेगा ये आतंकी खेल।

एक साथ तीन सौ लोग तीन साधु को लाठी ओर पत्थर से मारकर चले गए धिक्कार है एसी पुलिस पर जो कर्तव्य भूलकर खुद को बचाने के चक्कर में भाग निकली, राजनिती कोठा बनती जा रही है, ओर नेता वेश्या जिसे आम इंसान की गूँज सुनाई नहीं देती, हमारा खून खौलता है जब मगतरे हमारे उपर थूंक कर चले जाते है मूक बधिर से हम देखते रहते है, संवेदना रोती है, हदय छलनी होता है हिन्दुओं का असबाब लूट रहा है सेक्युलर भारत का सत्य यही है भगवाधारी को चोर सिद्ध करके मार दिया जाता है लेकिन टोपी ओर दाढी वाला आतंकवादी नहीं कहलाता।

ये हमें हमारी औकात दिखाना चाहते है जिस थाली में खाते है उसी में थूंकते है,

डाॅक्टरों पर हमला, पुलिस पर हमला क्या उखाड़ लिया उनका? क्यूँ इतनी रहमदिली ?

एक-एक को एसी सज़ा दी जानी चाहिए की देश की शांति भंग करने से पहले हज़ार बार सोचे, दिल्ली में दंगे, पुलिस का कत्ल कब रुकेगा ये सिलसिला धर्मांधता का नशा दारु से भी बदतर बनता जा रहा है, अगर उनको अपना धर्म प्यारा है तो क्या हमें अपने धर्म पर गर्व नहीं कल चार कत्ल ओर भी हो सकते है।

चलता रहेगा ये खेल जब तक इनकी घटिया मानसिकता को दफ़न नहीं किया जाएगा।।

 


                भावना ठाकर



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