लॉक-डाउन के चलते फूलों की खेती पूर्णतया क्षत-विक्षत हो गई। खुशियों का प्रतीक माने जाने वाले, खुशियों की सौगात बनने वाले फूलों को व्यवसाय कोरोना के कारण लगे लॉक डाउन से ग्रहण ग्रस्त हो चुका है कोरोना का अप्रत्यक्ष शिकार बन चुका है । 20 से 25 लाख प्रति हेक्टेयर लाभ देने वाली इस खेती को कोरोना ने भयंकर चूना लगा दिया । गोंडा जिले मे ही 6 करोड़ रुपये से अधिक का फूलों का व्यवसाय प्रभावित हो चुका है।फूलों के अतिरिक्त दूसरी अन्य प्रकार की फसलें जैसे अनाज ,फल व सब्जियों की खपत भी हो रही है और भंडारण भी किया जा रहा है मगर फूलों की न तो खपत है ना भंडारण ही संभव है ।मंदिरों के कपाट बंद होने से पूजा पाठ में जो फूलों का प्रयोग होता था उस पर विराम लग गया ।नवरात्रि में भी श्रद्धालुओं की लंबी कतारें नदारद रही ।तो फूल खरीदे कौन? मांगलिक कार्यक्रम स्थगित होने से घरों की सजावट के लिए बनने वाली फूलों की लड़ियों की आवश्यकता ही न रही ।एवं ट्रांसपोर्ट भी बन्द हैं कही ले भी नही जा सकते ।कोई किसी भी प्रकार की खरीद फरोख्त नही रही । इस समय लॉक डाउन के हालात मे उसका कोई प्रयोग ही नही रहा ।
फूलों की खेती करने वाले किसान गुलाब ,गेंदा ,ऑर्किड , पान आदि की खेती करते थे, जिसकी भारी खपत होती थी परंतु अब हालात बदल चुके है । फूलों की फसलें खेतों मे खड़े खड़े मुरझा रही हैं ,एवं खेती करने वाले किसानों के चेहरे भी । भारी नुकसान के कारण उनकी खुशियां भी हैं छिन चुकी हैं ।
सुषमा दिक्षित शुक्ला
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