मां
 मां पूरे कुनबे को, प्रेम सूत्र में बांधे रखती है,

नि.स्वार्थ भाव से बच्चों का ,लालन-पालन करती है,

 अपने आंचल की छांव में सुरक्षित रखती है,

 खुद पतझड़ सहकर,सबको बहार देती है। 

मां से ही रंगीन सुबह , सुहानी शाम है ,

मां से ही जीवन में उत्थान है,

ऋषि मुनि भी उनके  आगे ,सिर झुकाते हैं,

क्योंकि इस धरती पर,  मां सबसे महान है।

 लक्ष्य को चुनौती बनाकर, आगे बढ़ती जाती है,

 परिवार के नींव का, पत्थर होती है मां,

 टूटे हुए मनोबल का, विश्वास है

धड़कते हुए दिलों का ,श्वास है मां।

 मां के चरणों में जन्नत ,चारों धाम हैं,

हसीन हैं सपने ,सुहानी शाम है ,

मां शब्द में सारा ब्रह्माण्ड है

मां के चरणों में, बारम्बार प्रणाम है।

 


                शोभा रानी  तिवारी 



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