मनुष्य जाति का स्वार्थ पृथ्वी के रंग रूप लाता बदलाव

पृथ्वी बस एक नाम नहीं है। हमारे संपूर्ण जीवन का आधार है। उसके बाद भी सबसे ज्यादा नुकसान हमारे कारण से किसी को हो रहा है, तो वह हमारी पृथ्वी है। वह पृथ्वी जिसके बिना हम कुछ भी नहीं है। हमारे खाने-पीने रहने से लेकर हम अपने प्रत्येक कार्य के लिए पृथ्वी पर निर्भर है किसी ना किसी रूप में। पृथ्वी जमीन का टुकड़ा नहीं है बल्कि इस संसार की प्रत्येक तत्व सजीव या निर्जीव इस पृथ्वी का हिस्सा है‌ पेड़ पौधे जानवर पंछी नदियां तलाब समुंद्र, पहाड़ इत्यादि सभी कुछ हमारी पृथ्वी का हिस्सा है। जिसके चलते मनुष्यों का जीवन संभव हो पाया है।


आज के समय में मनुष्य इतना अधिक स्वार्थी हो गया है, कि अपने फायदे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है।  मनुष्य जाति, संपूर्ण पृथ्वी को अपने स्वार्थ के लिए नुकसान पहुंचा रही है। कई नदियां तनावों को गंदा किया जा रहा है, तो कहीं उनका नामोनिशान ही मिटा दिया गया है। जमीन की बात करें तो उसका लालच कितना बड़ा है, कि लोगों के पास रहने के लिए जमीन है ही नहीं, खाने और पीने की तो बात बहुत दूर होती जा रही है।  किसान भी रोज अपनी जमीन की कीमत लगाने को तैयार खड़ा ,है क्योंकि उसका भी स्वार्थ इससे जमीन से मिलने वाले अन से अधिक हो गया है। बस बाकी है तो चंद टुकड़े जिन पर इमारतें खड़ी हो रही है पैसे कमाने के लिए। चंद कागज़ के टुकड़े का लाभ इतना बड़ा है कि यह सोचना कोई जरूरी नहीं समझता कि उसका नुकसान क्या होगा।


समय बदल रहा है हमारी परिस्थितियां भी बदल रही है हम विकास और टेक्नोलॉजी की बड़ी-बड़ी बातों के नाम पर बस पृथ्वी का हनन करते चले आए हैं।  बस यही है जिसमें बदलाव की आवश्यकता है, किंतु हम नहीं कर रहे हैं। जब नुकसान होने लगता है तब एक दूसरे पर उसकी जिम्मेदारी डालते हुए खुद को अपनी गलतियों से बचा लेते हैं। लेकिन आम जनता नहीं बच पाती हैं, उन्हें इसके दुष्परिणाम भुगतने ही पढ़ते हैं।


यह सब होने पर कई सारे नियम और कानून बनाए जाते हैं जिनका पालन हमसे हमारी सरकार करवाने के लिए बहुत ही अधिक प्रयास करती हैं और कई बार इन नियमों का पालन करवाने में असमर्थ भी रहती हैं। बड़े-बड़े बजट होने वाले नुकसान ओं को पूरा करने के लिए बनाए जाते हैं। ताकि नदियों को साफ रखा जा सके, पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सके पेड़ों को बचाया जा सके या ऐसे अनेक कार्य जिन से पृथ्वी को सुरक्षित रखा जा सके करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन हो नहीं पा रहे हैं‌ उनके लिए बजट तो पास हो जाता है, पर वह कार्य कभी समाप्त नहीं होते हैं।


जिसका कारण हमारा स्वार्थ है। जो प्रत्येक कार्य को होने नहीं देता है। ताजे उदाहरण के तौर पर हम देख सकते हैं कि प्लास्टिक बैन के लिए सरकार द्वारा कोशिश ही नहीं की गई। प्रधानमंत्री द्वारा इसके लिए लोगों से 15 अगस्त के समय पर प्रार्थना भी की गई ताकि लोग प्लास्टिक बैग इस्तेमाल ना करें। किंतु यह कार्य कितना सार्थक रहा और इसका प्रभाव पूरे देश पर कितना पड़ा यहां हम सभी अपने आसपास आज के समय में इस्तेमाल होते हैं प्लास्टिक बैग्स को देखकर समझ सकते हैं।


पृथ्वी और हमारे वातावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लेना हमारी आदत बन चुकी हैं। तरह-तरह की मशीनें और उपकरण हमारे कार्य को आसान बनाने के लिए बनाए जाते हैं साथिया ऐसे भी उपकरण बनाए जाने लगे हैं जिनके प्रयोग से वातावरण को होने वाले नुकसान से मनुष्य बच सकें। फिर चाहे वह दूषित हवा हो या दूषित पानी। सभी के लिए हमने उपकरणों मशीनों को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।


बिना ना समझे की हमें आवश्यकता किस चीज की हैं बदलाव की या उपकरणों की। बस हम प्रयोग कर रहे हैं आती हुई नई तकनीक का। जिससे फायदा केवल चंद मनुष्यों को हो रहा हैं और नुकसान संपूर्ण पृथ्वी पर बसने वाली प्रत्येक जीव-जंतु। पेड़-पौधे, पहाड़, नदियां-तलाब, वातावरण सभी को हो रहा है।


   पृथ्वी को हमारी आवश्यकता नहीं है, सुधार करने के लिए वह अपना सुधार स्वयं कर सकती है।  पृथ्वी में पाए जाने वाले प्रत्येक तत्व इस प्रकार से हैं कि हमें अपनी आवश्य कताओं को पूर्ण करने के लिए जैसे एक तोहफे के रूप में प्राप्त हुए हैं।  बस केवल हम ही हैं जिन्हें प्रयोग कोई अन्य जीव जंतु नहीं कर सकता है। मनुष्य अपने में बदलाव ला सकता है और साथ ही संपूर्ण वातावरण और दुनिया में बदलाव लाने का कार्य कर सकता है। हमारी समझ हमें अलग ही नहीं बनाती है कुछ अलग करने की क्षमता भी देती हैं। जिसका प्रयोग हम स्वयं के बारे में सोचकर स्वार्थी रूप से करने लगे हैं। किंतु ऐसा नहीं होना चाहिए हमें सभी के बारे में सोचना चाहिए। चाहे वह फिर मिट्टी और पत्थर ही क्यों ना हो, उनका भी प्रयोग हमें सोच समझ कर करना चाहिए।


हम पृथ्वी के प्रत्येक तत्व का इस्तेमाल यह सोचकर नहीं कर सकते कि हमारे लिए हैं। खुद को बदल लेने में ही हमारी भलाई है। अपने स्वार्थ को छोड़कर अपना और अपनों का रक्षण करें। नहीं तो आज बस हम मौत के खौफ से डर रहे हैं। आने वाले समय में हो सकता है यह मौत का डर भी ना बचें। अपने लालच से आगे बढ़े खुद की नहीं तो अपनों की फ़िक्र करें। जीवन अनमोल है सभी का केवल मनुष्य जाति का नहीं समझने का प्रयास करना जरूरी है।



                     राखी सरोज




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