पत्थर बाजों से -
कानून सभी, नियम सभी, जो जानबूझकर तोड़ रहे।
छिपा रहे, बीमारी जो, संक्रमण से नाता, जोड़ रहे।
सोचो क्या, ये हितकारी तुम, और तुम्हारे बच्चों के,
बन करके खुद, कोरोना बम, आकर बस्ती में छोड़ रहे।।
पुलिस और डॉक्टर्स पर, जिन की खातिर, पत्थर बरसाते हो,
उन्हें बचाते हो, या तुम, खुद मौत को ,गले लगाते हो।
है वक्त उन्हें जाहिर कर दो, अब भी उन्हें निकालो तुम,
कोरोना कर देंगे सबको, जिनको तुम आज छुपाते हो।।
क्या हासिल करना चाहते हो,तुम यह पत्थर बरसाने से,
कानूनन तुम समाज शत्रु, बच न पाओ हरजाने से।
यह कैसा है दीवानापन, जो बना रहा पागल तुमको,
संभल जाओ अरूं होश करो,मत काम करो बेगाने से।।
अब एक बात पूरी कौम से -
बस इतना कह देते हो तुम, यह सब उनका जाहिलपन है,
आगे बढ़,उनको रोकते नहीं, हरकत जिनकी दंगापन है।
शांतिदूत कहलाने वालो! रोको इन पत्थरबाजों को,
वरना विश्व मान लेगा, तुम सबका मौन समर्थन है।।
डॉ अनिल शर्मा'अनिल'
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