पकवान
              आज दुखी चाचा सुबह से ही बहुत खुश दिखाई दे रहे हैं। क्या बात है रमन भाई चाचा क्यों खुश दिखाई दे रहे हैं। तो रमन बोलता है अरे भाई मेरे पिताजी इसलिए खुश दिख रहे हैं। मेरी माँ ने रात में बोली थी तुम सब के लिए पकवान बनाने वाली हूँ। जैसे ही यह बात पिताजी को पता चली। वो रात से ही खुश हैं। क्योंकि अपने पूरे गाँव बंद होने की वजह से माँ पकवान के सामान भी नहीं ला रही है। और पकवान के लिए नये - नये मसाले चाहिए। और जब से लॉकडाउन लगा है। तब से तो मेरी माँ घर में सिर्फ दाल रोटी बनाकर पिताजी को पड़ोस देती है। कई बार तो पिताजी ने बोले हैं भी ये सब कब तलक चलेगा भाग्यवान। तो माँ बोलती है दाल रोटी भी बनाकर दे देती हूँ। इसी में शुक्रिया अदा किया करो। आज बहुत दिनों के बाद बदरी भाई मेरे घर में पकवान बनने की घोषणा हुई। मैं सोचता रहा की मेरी माँ तो सिर्फ दाल रोटी ही बनाकर हमसब को खिलाएगी। और इधर पकवान की खुशी में दुखी चाचा नृत्य करने लगते हैं। वो सोचते हैं कि आज पकवान खाने को मिलेगा। किंतु ये सब बिल्कुल भी नहीं हुआ। जब चाची जी दोपहर में खेत से आयी तो हर बार की तरह इस बार भी पुनः दाल रोटी बनाकर देती है। तो रमन माँ से पूछता है  कि माँ ये आपने क्या किया। आप ने तो बोली थी। अपने घर में पकवान बनेगा फिर दाल रोटी क्यों बनी। चाची जी बोलती है रमन बेटा घर में कुछ भी नहीं बचा है। और लॉकडाउन की अवधि तो बढ़ चुकी है। इस नई मुसीबत में कहाँ से तुम सब को पकवान बनाकर खिलाऊंगी। बेटा जब से लॉकडाउन लगा है ना तब से घर में कमाई का जरिया भी बंद हो गया है। और तुम्हारे पिताजी तो घर पकड़ लिये हैं। तब से तो और भी नई नई मुसीबत आने लगी है। मैं कहती हूँ जो भी मिल जाता है उसी में ईश्वर का शुक्रिया अदा किया करो। और रमन बेटा हमसब को तो दाल रोटी भी नसीब हो जाती है। तुमको पता है ना कि इस आलम में ईश्वर निर्धन को भी बनाकर भेजें हैं। आज तुम ही देखो अपने गाँव में रवि के पापा कितने गरीब हैं उनको तो कहीं से कमाई का जरिया भी नहीं है। और रवि तो अभी बहुत छोटा है रवि चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता है। जो करते हैं उनके पिताजी ही करते हैं। मेरी तो उनसे आज बात भी हुई है। वो बोले हैं कि बेटी जब से ये लॉकडाउन लगा है ना तब से तो तुम समझो मैं सोच - सोचकर आधा हो गया हूँ। और मैं यह भी बोली क्या सरकार की ओर से आप जैसे बे सहारे लोगों की कोई मदद नहीं मिली है क्या? तो उन्होंने बोले हैं कि हाँ एक ही बार पांच सौ की राशि मेरी पत्नी के खाते में आयी थी। लेकिन उस पैसे क्या होने वाला है। ये मेरे घर के एक दिन का खर्च है। और जब मैं काम करता था तो  एक दिन में एक हजार कमा लेता था। तुम्ही बताओ बेटी ये पांच सौ की राशि क्या इससे मेरा घर चल सकता है। बेटी अब तो हमसब को भूखे ही रहना पड़ेगा। रमन की माँ बोलती है अपने गाँव में एक बहुत ही अमीर जमींदार है। क्या आप उनसे मदद मांगने नहीं गए हैं। हाँ गया था उन्होंने बोले हैं कि हाय कहाँ से लाकर तुम सब को पैसे दूं। आज तुमको दूंगा कल उसको देना पड़ेगा। इससे तो मेरे पास क्या बचेगा। यहाँ से आप जाईये और सरकार के भरोसे बैठे रहिये सरकार ही मदद करेगी। मैं तो वहाँ से आ गया जब एक अमीर लोग मदद करने से आनाकानी कर रहे हैं। मैं अब किसके पास जाऊँ कौन करेगा मेरी मदद। किसी को कहता हूँ अपनी व्यथा को वह तो सुनकर ही रह जाते हैं। कोई मदद करने के लिए तैयार ही नहीं होते हैं। बेटी मैं तो कहता हूँ इस दुनिया में गरीब लोगों को कौन देखने वाले हैं। खैर अब सोच लिया किसी से मदद मांगने नहीं जाऊंगा। इस कहानी से कहने का तात्पर्य है कि कोरोना वायरस से आज कितनी की जिंदगी अस्त व्यस्त हो गयी है। लोग शहरों से पलायन करने पर मजबूर हैं। क्योंकि वहाँ क्योंकि प्रायवेट कंपनी सैलरी नहीं दे रही है। और असहाय लोगों की मदद नहीं मिल रही है। निःसंदेह सरकार मदद करने की कोशिश कर रही है। लेकिन आज भी बे सहारे लोगों तक सरकारी राशि नहीं पहुंच रही है। और जब से ये लॉकडाउन लगा है। तब से तो कुछ लोग अपने घरों में पकवान बनाने की फरमाइश कर रहे हैं। अपनी नजर असहाय लोगों पर डालने से आनाकानी रहे हैं।  मदद करने के लिए आगे नहीं बढ़ रहें हैं। क्या गरीब लोग इसी तरह भूखे मरेंगे। बहुत सारे निर्धन लोग भूखे सो रहे हैं। कोई पूछने के लिए नहीं आ रहे हैं। मजबूरी की खातिर गरीब लोग चोरी करने पर मजबूर हो गए हैं। और अगर पकड़ा जाते तो उनकी पिटाई हो रही है। किंतु लोग उनसे यह भी नहीं पूछते आखिर आप चोरी क्यों कर रहे हैं। और शीघ्र ही पुलिस के हवाले कर देते हैं। आईये हमसब दृढ़ संकल्प लें कि अपने आस पास के गरीब लोगों की मदद करुंगा। और अगर गरीब लोगों को मदद मिल जाती है तो गरीब सब भी घरों में रहेंगे और वह भी सावधानी बरतेंगे। इससे कोरोना की हार होगी, और  हमसब की जीत होगी। हमारी सभ्यता और संस्कृति यही बताती है कि तुम बे सहारे लोगों की मदद करो। और ईश्वर तुम सब को जरुर प्रतिफल देगा।

 


                      मो. जमील



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