संकट के इस विकट समय में
स्वार्थी मन के दान समर में
मानवता के छदम वेश को
संकट के इस प्रबल समय मे
स्वार्थ सिद्धि की अभिलाषा को
हम सबने देखा है।।
कपटी मन के गलियारों में
समय चक्र के मंसूबो में
स्वार्थ भावना सेवा के
बहते मन के आँसू को
हम सबने देखा है।।
अंतरात्मा के हृदय पटल में
दानी कहलवाने की चाहत में
अहंकार के बीज पनपते
स्वार्थियों के हृदय पटल पर
हम सबने देखा है।।
नाम कमाने की चेष्ठा में
प्रसिद्धि कमाने की चाहत में
संकट से इस ग्रसित समय में
गरीबी के अन्तःस्थल में
छा जाने की कोशिश को
हम सबने देखा है।।
चंद मदद पर नाम के खातिर
गरीबी की पहचान कराते
दानवीरता के वीरो को
हम सबने देखा है।।
बड़े बड़े महारथियों में
संकट के इस महासमर में
आगे होने की अन्तः चाहत को
हम सबने देखा है।।
कही स्वार्थ सिद्धि की चाहत
कही बडाई की चाहत
कही श्रेष्ठता की चाहत को
हम सबने देखा है।।
निस्वार्थ भावना की चाहत को
राष्ट्र प्रेम के अविचल मन को
बिरले से ही कुछेक हृदय में
सम्राटो के अन्तः मन मे
राष्ट्र प्रेम की अभिलाषा को
निस्वार्थ भावना सेवा की
हम सबने देखा है।।
पी एन त्रिपाठी
- किसी भी प्रकार की खबर/रचनाये हमे व्हाट्सप नं0 9335332333 या swaikshikduniya@gmail.com पर सॉफ्टमोड पर भेजें।
- स्वैच्छिक दुनिया समाचार पत्र की प्रति डाक से प्राप्त करने के लिए वार्षिक सदस्यता (शुल्क रु 500/- ) लेकर हमारा सहयोग करें।
- साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधि, ब्यूरो चीफ, रिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।
- कृपया यह ध्यान दे की कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि 500 शब्दों से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा।
- कृपया अपनी रचना के साथ अपना पूरा विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो अवश्य भेजें।