विश्व पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल:- धरती देती है हमें सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखे
हमारे देश में धरती को मां और आसमान को पिता का दर्जा दिया जाता है इन दोनों के तालमेल की वजह से ही इस धरा पर जीवन संभव हो पाया है अगर इस तालमेल को बिगड़ दिया गया तो जीवन की संभावना की कल्पना भी बेमानी साबित होगा कहा जाता है कि धरती किसी समय पृथ्वी का गोला हुआ करता था इस पर जीवन संभव नहीं था धीरे-धीरे यह धरती ठंडी होती गई और इस पर जीवन की उत्पत्ति हुई   मानव ने इस धरती पर रहकर ही अपना विकास किया विकास की गति इतनी तेज हो गई कि मानव ने प्रकृति के साथ खिलवाड़ शुरू कर दिया आज भी जारी है इसका दुष्परिणाम आज हम स्वयं भुगत रहे हैं 

  आज धरती आसमान के इस तालमेल को बिगाड़ा जा रहा है इसको किसी की नजर लग गई है   हालांकि विश्व बिरादरी को इस खतरे का आभास जरूर है  यह कहने में हमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि जब पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में विश्व के विभिन्न राष्ट्र स्वयं ही आपस में वैचारिक संतुलन नहीं बना पा रहे हैं तो ग्लोबल वार्मिंग के बारे में तालमेल कैसे बनाए रख सकते हैं यही वजह है कि विश्व बिरादरी द्वारा किए गए प्रयासों का आज तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया

 पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा निरंतर बढ़ने से ग्लोबल वार्मिंग का संकट भी गहराता जा रहा है जिस मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो रहा है उसी अनुपात से पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है  रसायनों का बे-हिसाब प्रयोग ,प्लास्टिक का  बढ़ता प्रयोग, नष्ट होते पेड़ पौधे जैसा कि पर्यावरणविदों का मानना है कि इस तापमान वृद्धि के कारण  धरती पर मानव का रहना भी मुश्किल हो जायेगा   मानव की भौतिकवादी दिनचर्या प्रकृति के प्रति उसकी गैर जिम्मेदाराना कार्य के परिणाम स्वरूप पृथ्वी की रक्षा कवच ओजोन परत को भारी नुकसान पहुंच रहा है

लोगों को जागरूक करने हेतू -पृथ्वी दिवस एक वार्षिक आयोजन है, जिसे 22 अप्रैल (अलबर्ट के जन्मदिन, 22 अप्रैल,) को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है। इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में की थी

हर व्यक्ति ओर देश को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए उन कारणों पर जो ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रहे हैं दूर करना होगा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा भी प्लास्टिक निस्तारण का ऐसा अनुपम प्रयास पूरे भारत में 2 अक्टूबर 2019 से किए जाने का आह्वान किया है  आओ मिलकर संकल्प ले कि हमें ओजोन को बचाना है  धरती माँ को बचाना होगा तभी हम बच पाएंगे

 -कोरोना महामारी के वजह से लागू किए गए लोक डाउन के तहत आज देश की आब और हवा शुद्ध हो रही है नदियां शुद्ध हो रही है इसका सीधा सा तात्पर्य है कि प्रकृति को शुद्ध रखना स्वयं मानव की जीवन शैली पर निर्भर करता है जब धरती ने हमें सब कुछ दिया है  हम भी कुछ देना सीखे अपनी जीवन शैली को बदलकर इस प्रकृति को शुद्ध करने की जिम्मेदारी निभाने का एहसास समझे ।

 "कब तक यू अंधेरे में सोए रहोगे अब तो एक दीपक जला लेना चाहिए 

जला है आज दीपक तो कल एक मशाल जलनी चाहिए

किसका इंतजार है तुझे हे मानव अब एक छोटा सा बदलाव तो होना चाहिए

 


              डॉ ज्ञान चन्द जांगिड़



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