अवधी दिवस के रूप में मनाई गई नेपालगंज बांके में तुलसी जयंती
कोविड-19 महामारी के चलते कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके भारतीय साहित्यकार


 

 बहराइच /सोमवार को संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज की जयंती पूरे देश विदेश में बड़े ही उत्साह के साथ मनाई गई, कोविड-19 महामारी के चलते, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लोगों ने अपने घरों में संत शिरोमणि गोस्वामी जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया, साहित्य प्रेमियों ने श्री रामचरितमानस पाठ कर उनकी लिखी हुई रचनाओं का वाचन किया, 

 पड़ोसी देश नेपाल में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी तुलसी जयंती को अवधी  दिवस के रूप में मनाया गया, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते कार्यक्रम को सीमित करना पड़ा, हर वर्ष आयोजित होने वाले कार्यक्रम में भारत और नेपाल के कोने-कोने से साहित्यकार लेखक साहित्य प्रेमियों का जमघट लगता था,काव्य पाठ के साथ ही एक भव्य सम्मान समारोह का भी आयोजन होता था, लेकिन इस बार नेपालगंज के बांके जिले में एक छोटा सा कार्यक्रम आयोजित करके आसपास के साहित्यकारों ने तुलसी जयंती को अवधी दिवस के रुप में मनाया, कार्यक्रम का आयोजन नेपाल की सर्वोच्च साहित्यिक संस्था अवधी संस्कृतिक प्रतिष्ठान केंद्रीय कार्यसमिति नेपालगंज बांके द्वारा किया गया, संस्था के अध्यक्ष विष्णु लाल कुमाल ने बताया कि कोरोनावायरस के चलते इस साल का तुलसी जयंती अवधी दिवस कार्यक्रम फीका रहा, भारतीय साहित्यकारों का कार्यक्रम में ना पहुंचना हम सब को काफी खला,  सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कार्यक्रम में 40 लोगों की सहभागिता हुई, कार्यक्रम में अवधी भाषा साहित्य संस्कृत पर काम करने वाले कई साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया,  कुमाल ने बताया कि कार्यक्रम का आयोजन शहर के महेंद्र पुस्तकालय के सभाकक्ष में आयोजित किया गया, कार्यक्रम की अध्यक्षता नेपालगंज उद्योग व्यापार मंडल संघ के अध्यक्ष नंदलाल वैश्य ने की,मुख्य अतिथि के रुप में पहुंचे समाजसेवी व क्षेत्रीय नेता पशुपति दयाल मिश्र,  विशिष्ट अतिथि शनद कुमार रेगमी,हरि तमिल सेना, आदि की उपस्थिति रही, सम्मान कार्यक्रम में साहित्यकार सच्चिदानंद चौबे,  विश्वजीत तिवारी, मोहम्मद हारुन, शकील अहमद कादरी सहित कई अन्य साहित्यकारों को सम्मानित किया गया, एक कवि गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी के साहित्य पर चर्चा हुई,विष्णु लाल कुमाल  ने कहा कि विश्व मे श्रीरामचरितमानस ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है,भले वह किसी भी भाषा में परिवर्तित की गई हो लेकिन मूल भाषा उसकी अवधी ही है,हमारे नेपाल में श्री रामचरितमानस को नेपाली में श्री भानुभक्त ने लिखा एक ऐतिहासिक कार्य किया है, नेपाल के हर घर में श्री रामचरितमानस अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है जो कि एक महत्वपूर्ण ग्रंथ के रूप में लोग पूजते हैं,श्री रामचरितमानस की वजह से आज विश्व के कोने-कोने में अवधी का सम्मान हो रहा है,और यह सब संभव हो पाया संत श्री गोस्वामी तुलसीदास महाराज जी की कृपा से, जगह-जगह कार्यक्रमों में नेपाल की एक अलग ही पहचान है, तुलसीदास के जन्म जयंती मनाने का,  ज्ञात हो कि अवधी भाषा साहित्य संस्कृत के लिए नेपालगंज और नेपाल के कई क्षेत्रों में बहुत ही अच्छा कार्य किया जा रहा है, वहां लगभग एक दर्जन रेडियो स्टेशन है जो की अवधी  में कार्यक्रम संचालित करते हैं!

 


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