कोरोना काल की छाया में राखी घरों में सुरक्षित रह मनाएं रक्षाबंधन
कोरोना काल की छाया में राखी घरों में सुरक्षित रह मनाएं रक्षाबंधन

 

 

इस बार राखी से पहले बाजारों में कौई रौनक दिखाई नहीं दे रही है लेकिन लोग अब ऑनलाइन शॉपिंग करके और घर में मिठाई बनाकर कोरोना काल में त्योहार की तैयारियों में जुटे हैं। हर वर्ष की भांति सावन मास की पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है जो हिंदू धर्म के लोगों के लिए यह त्योहार बहुत ही महत्व रखता है। राखी का यह त्योहार भाई और बहन के प्रेम और प्यार का प्रतीक माना जाता है। रक्षाबंधन पर बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और लंबी उम्र की कामना करते हुए अपनी रक्षा करने का वचन लेती है। 

 

इस बार कोरोना की छाया में फीका रक्षाबंधन - 

 

हर साल राखी का त्योहार आते ही बाज़ार कस्बों में  रौनक सी लग जाती हैं और जगह-जगह राखी बिकना शुरू हो जाती हैं। बहने अपने भाइयों के लिए एक से एक अच्छी राखी ढूंढ कर लाती है।लेकिन इस साल कोरोना काल मे ही राखी का त्योहार मनाना है और ऐसे में ना तो बाज़ारो में पहले जैसी रौनक है और ना ही जगह-जगह राखी बिकती दिख रही है।

 

महामारी के चलते घरों रहकर मनाएं -

 

आज के दौर मे चल रही विश्व व्यापक कोरोना महामारी की वजह से सभी बहन-भाईयों इस त्योहार को सुरक्षित रहकर घरों में मनाएं। कोरोना में एहतियात  की वजह से लोग भी अपने घरों से निकलते हुए झिझक रहे हैं। इसी वजह से लोगों ने त्योहार का फीकापन दूर करने के  साथ-साथ घर के बच्चों के लिए यह त्योहार मनाने के कुछ विकल्प ढूंढ निकाले हैं। रंग बिरंगी राखी के साथ नए कपड़ों, मिठाइयों और चॉकलेट्स का चलन है. बहनें जहां भाईयों के लिए राखी खरीदती हैं तो वही भाई अपनी बहनों के लिए तोहफे लेते हैं। कोरोना में राखी की शॉपिंग अब 'ऑनलाइन' हो गई है। लोग अब कपड़ों से लेकर राखी तक सभी चीज़े ऑनलाइन ही मंगा रहे हैं।

 

कोरोना का छाया रक्षाबंधन पर - 

 

कोरोना काल की वजह से विश्व की पूरी अर्थव्यवस्था हिल चुकी है और त्योहार सहित आम जनजीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्वतंत्र लेखक सूबेदार रावत गर्ग उण्डू को दिल्ली में रह रहे रक्षा कर्मचारी बीके मीना के परिवार ने बताया कि परिवार ने राखी की तैयारियां शुरू कर दी हैं। घर के बच्चे, घर पर ही होममेड राखी बना रहे हैं तो वहीं घर के बड़ों ने कपड़ों की शॉपिंग ऑनलाइन शुरू कर दी है। स्वतंत्र लेखक सूबेदार रावत गर्ग उण्डू को डाॅ. बीके मीना ने बताया, “हमने नया घर बनाया है। सोचा था राखी पर घर में शिफ्ट होंगे तो बड़ी पार्टी देंगे, सभी को बुलाएंगे लेकिन करोना संकट की वजह से कुछ भी नहीं हो पाया। अब राखी का त्योहार भी ऐसे ही ना गुज़र जाए इसलिए हमने इसको उत्सव में बदलने के लिए ऑनलाइन शॉपिंग शुरू कर दी है। हम सभी चीजें ऑनलाइन मंगा रहे हैं।”

 

घर पर रहकर रक्षाबंधन मनाना सबने ठाना - 

 

वैश्विक महामारी कोरोना कोविड -19 के बढ़ते हुए प्रसार को देखते हुए घरों में रहकर त्योहार मनाने में ही समझदारी है। उत्तरप्रदेश के झांसी शहर से बहन अरूणा यादव, रुद्रप्रयाग उत्तराखंड से बहन रजनी रावत, गुवाहाटी असम से बसंती बारो राॅनाल्ड व मंडला खुर्द राजस्थान से बहन संतोष सुमरा ने बताया कि पहले तो बाजार जाकर चीजें खरीद के लाते थे लेकिन अभी करोना की वजह से कहीं बाहर नहीं जा रहे हैं और राखी के लिए मिठाइयां भी घर पर ही बनानी शुरू कर दी है। वहीं संतोष सुमरा का कहना था कि करोना में बाहर जाना सही नहीं है इसलिए घर पर ही सब कुछ कर रहे हैं खेती-बाड़ी पर ध्यान दे रहे है। बच्चों के साथ साथ बड़े भी उत्सुक हैं। जहां बड़ों ने अपनी तैयारियां करनी शुरू कर दी हैं तो वहीं बच्चे भी पीछे नहीं हैं. बच्चियों ने अपने भाइयों के लिए घर पर ही होममेड राखी बनाई है। स्वतंत्र लेखक सूबेदार रावत गर्ग उण्डू ने कुछ बच्चों से भी बात की तो राधिका ने बताया कि घर पर जो भी चीज़े थी जैसे बीड्स, थ्रेड उन्ही सब चीज़ों से घर पर ही राखी बनाई है। वहीं  अंकिता जैन ने बताया कि “हम कहीं बाहर नहीं जा रहे हैं मम्मी ऑनलाइन शॉपिंग कर सब सामान मंगवा रही हैं।” वहीं वासुदेव गोपूराम पंवार और रामस्वरूप वर्मा ने स्वतंत्र लेखक सूबेदार रावत गर्ग उण्डू को बताया कि हम लोग कहीं भी बाहर नहीं जा रहे, पहले गिफ्ट्स लेने मॉल जाते थे। इस बार नहीं गए। हम राखी घर पर ही मना रहे हैं। कोरोना ने त्योहारों के तौर तरीके ही बदल दिए है और लोगों ने इस महामारी के बीच खुशियां ढूंढने के नए विकल्प भी ढूंढ लिए है।

 


- सूबेदार रावत गर्ग उण्डू 

( स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी )


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