प्रणेता साहित्य संस्थान की काव्य गोष्ठी सम्पन्न
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नई दिल्ली 28जुलाई(डॉ शम्भू पंवार) प्रणेता साहित्य
संस्थान,दिल्ली द्वारा आॅनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं श्रीमती वीणा अग्रवाल जी की माँ शारदे की वंदना से हुआ। संस्था के संस्थापक और महासचिव एस जी एस सिसोदिया जी ने साहित्य संस्थान का संक्षिप्त परिचय दिया।
गोष्ठी की अध्यक्षता प्रतिष्ठित कवयित्री सरोज गुप्ता जी ने की, मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध कवि एवं गीतकार जगदीश मीणा जी ने अपनी गरिमामय उपस्थिति से मंच को सुशोभित किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में जानी मानी साहित्यकारा डॉ. स्मिता मिश्रा जी उपस्थित थीं।
गोष्ठी का संचालन सुप्रसिद्ध कवयित्री सुषमा भण्डारी जी ने बहुत ही कुशलता से किया
मुख्य अतिथि जगदीश मीणा जी का शृंगार गीत 'बिन मुहब्बत जिस्म ये खंडहर पुराना हो गया
मेरे दिल को मुस्कराए इक ज़माना हो गया।'को काफी सराहा गया। पत्रकार
गोविंद सिंह जी ने 'मनमोहिनी सलोनी सूरत चंचल चितवन वाली हो' की लाजवाब प्रस्तुति से सबको मुग्ध कर दिया। आयोजन की अध्यक्षा सरोज गुप्ता जी ने 'अंधेरी है भादों की रात, सूझता नहीं हाथ को हाथ' और विशिष्ट अतिथि स्मिता मिश्रा जी ने'मन बहता पवन सा,अभी यहाँ,तभी वहाँ ' से मंच पर वाह वाही लूटी।
विनीता सरस्वती जी,अशोक
पाहुजा,युवा कवयित्री शिप्रा
झा,दिनेशचंद्र दिनेश,श्वेता कंसल,कुसुमलता"कुसुम"
तरुणा पुण्डीर 'तरुनिल' गीता प्रकाश,सुधा श्रीवास्तव,
'पीयूषी 'रितु प्रज्ञा,राजेश्वरी
जोशी,अंजू कोहली ने बेहतरीन प्रस्तुतियां देकर
🏼गोष्ठी को रंग जमा दिया।
गोष्ठी में सरिता गुप्ता जी और के बी एस के प्रकाशक संजय कुमार जी की सक्रिय उपस्थिति भी रही।अंत मे महासचिव एस जी एस सिसोदिया जी और उपाध्यक्ष शकुंतला मित्तल के धन्यवाद ज्ञापित किया।
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डॉ शम्भू पंवार
ब्यूरो चीफ