"प्रेम की परिभाषा"
"प्रेम की परिभाषा" 

 

प्रेम आज-कल बहुत ही आम शब्द बन गया है आँखों की पसंद और दिल का बहकना मतलब प्रेम नहीं होता। रूह की कशिश एक दूसरे की परवाह एक दूसरे के प्रति सौहार्द भाव प्रेम की परिभाषा है।

कुछ सांकेतिक रूप होते है प्रेम के किसीको पहली नज़र भर देखने से रोम- रोम में खिल उठे हज़ारों कँवल वो आँखों का प्यार है। पर जब आपको कोई जान से प्यारा लगने लगे, जिसके लिए हर हद पार करने की भावना जगे जो इंसान आपको जीने की वजह लगे और उसकी किसी भी बात का बुरा ना लगे चाहे वो कितनी भी अहम हो। इस ताल्लुकात को समझो प्रेम की चरम है। नखशिख डूबे हो उस शख़्स के अस्तित्व में घुले-घुले

जिसे देखकर दिल में, मन में सिर्फ़ ओर सिर्फ़ असीम प्यार जगे उस अज़ीज को संभाल कर रखो। जीने की वजह वही तो है जिसकी हर गलती को दिल नज़र अंदाज़ करे।

समझो आत्मिक उर्जा का वही स्त्रोत उसे देख-देख जी लो जिसके लबों पर ठहरी एक हंसी आपके दिल को बाग- बाग कर दे। वो कोई ओर नहीं जिसे उदास देखकर दिल चर्राए मन में उसे बसा लो ये रूह की कशिश ही आत्मा का प्यार है। आह्वान है ये क्रियाएँ सच्चे प्रेम की चरम का शृंगार है।।

कायनात के जर्रे-जर्रे में प्रेम की परत महक रही है दिलों से गिरती शबनम से आच्छादित प्रेम आकृत हो जाता है मन की शिला पर अगर प्रेम है गीली मिट्टी सा। बूँद-बूँद सा बहने लगता है प्रेम अगर तरल है ओस सा। प्रेम है बैशाखी धूप सा प्रगाढ़ तप्त तब पिघला देता है रुह में दबे अहसास के शीशे को।

अगर प्रेम है पुष्प सा बंद किताबों में ज्यों महकता है सूखा गुलाब सालों के बाद भी वैसे प्रेम सराबोर लबालब महकता है उर आँगन में।

प्रेम है मन के आसमान में रचा रंगीन इन्द्रधनुषी अर्धचंन्द्र सा खुशनुमा आगाज़। प्रेम है दिल से निकले दिल के तरंगों को बखूबी जानता मौन रहकर भी दुनिया की हर भाषा पहचानता। प्रेम है आत्मा की आवाज़ सा बस हो जाता है निगाहों की पसंद दिलके तारों को जब छेड़ जाती है कोई एक लगने लगे जब बहुत प्यारा सा।।

पर प्यार में हद से बेहद की चरम कभी-कभी काँच सी नाजुक इज्जत पर वार कर देती है।

वैसे प्यार एक खूबसूरत एहसास है ओर बेहद ही होना चाहिए। इसे लफ़्ज़ों में बयाँ नहीं किया जा सकता इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है।

लेकिन प्यार की हद जानना भी बेहद जरूरी है, प्यार में आधिपत्य भाव शिद्दत वाला होना चाहिए। पर इसका मतलब ये भी नहीं की अपने साथी की नाजायज़ मांग के सामने घुटने टेक दो। कभी कभार अच्छे बुरे की समझ होने के बावजूद सिर्फ़ ये सोचकर गलती कर बैठते है कई नादान की ना कहने पर कहीं वो बुरा मान गया तो ? अगर वो बुरा मानता है तो एसे रिश्ते पर वहीं पर पूर्ण विराम रख दो। जो सिर्फ़ आपकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहा हो।

आपकी आइ लाइनर बिगाडने वाले से बेहतर है, आपके लिपस्टिक सजे होंठों की मुस्कान के रखवाले से मोहब्बत हो। प्यार ओर वासना में जमीन आसमान का अंतर है। जो सच्चा प्यार करता है वो  कभी जज़्बात में बह कर वक्त से पहले एसी नाजायज़ मांग करेगा ही नहीं।

उस महीन रेखा के दायरे को पार करना प्यार नहीं जिससे किसी लड़की की इज्जत दागदार हो।

प्यार अहसास है, प्यार पूजा है, एक दूसरे के प्रति मान सन्मान, ओर परवाह का नाम प्यार है। ना की चार दिन के तथाकथित अहसास को प्यार का नाम देकर हवसपूर्ति साधन बनाया जाए।

आज के दौर में सच्चे प्यार को पहचानना बहुत आसान है। एक लम्हा ओर एक खयाल बहुत कुछ बदल देता है। बहके हुए लम्हों में एक रुका हुआ फैसला साबित कर देगा प्यार ओर वासना के बीच का फ़र्क। "ज़रा ना कहकर देखो"

प्यार बेहद करो हद की सीमा की क्षितिज पर रखकर अपना आत्मसम्मान ओर इज्जत। पर बिना सोचे समझे बेहद हो जाना तौहीन है प्रेम की।।

 


(भावना ठाकर) भावु 

बेंगलोर, कर्नाटक


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