*गजल संग्रह "आंगन का शजर" का लोकार्पण**
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*ममता किरण की गजलों ने बांधा समा**
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नई दिल्ली 31 जुलाई।(डॉ. शम्भू पंवार)"जश्नेहिंद"दिल्ली
के तत्वावधान मेंआयोजित डिजिटल गोष्ठी में नामचीन ग़ज़लगो एवं कवयित्री ममता किरण के ग़ज़ल संग्रह ''आंगन का शजर'' का शानदार लोकार्पण हुआ।
प्रारंभ में कवि आलोचक डॉ.ओम निश्चल ने श्रीमती
ममता किरण की काव्ययात्रा पर प्रकाश डालते हुवे कहा कि ममता किरण की ग़ज़लों में एक अपनापन है, जीवन यथार्थ की बारीकियां हैं, बदलते युग के प्रतिमान एवं विसंगतियां हैं, यत्र तत्र सुभाषित एवं सूक्तियां हैं, भूमंडलीकरण पर तंज है, कुदरत के साथ संगत है, बचपन है, अतीत है, आंगन है,और पग पग पर सीखें हैं। डॉ ओम निश्चल ने ममता जी की ग़ज़ल के इन शेरों का विशेष तौर से उल्लेख किया जहां वे अपने बचपन को अपनी ग़ज़ल में पिरोती हैं --
अपने बचपन का सफर याद आया।
मुझको परियों का नगर याद आया।
जिसकी छाया में सभी खुश थे 'किरण'
घर के आंगन का शजर याद आया।
इस अवसर पर 'आंगन का शजर' की लेखिका ममता किरण ने कुछ चुनिंदा ग़ज़लें सुना कर कार्यक्रम को जानदार ओर शानदार बना दिया।तत्पश्चात गजल संग्रह का लोकार्पण जश्नेहिंद के निदेशक मृदुला सतीश टंडन ने किया। उर्दू के जाने माने समालोचक एवं शायर प्रो खालिद अल्वी ने कहा कि संग्रह में कुछ ग़ज़लें ममता जी ने गा़लिब की ज़मीन पर कही हैं तथा उनके यहां अपनेपन, संबधों एवं यथार्थ से रूबरू ग़ज़लें हैं जिससे हिंदी ग़ज़ल में उन्होंने अपना स्थान और पुख्ता किया है। वही लंदन से कथाकार तेजेद्र शर्मा ने कहा कि ममता जी की शायरी में एक परिपक्वता नज़र आती है। चंडीगढ़
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष एवं साहित्य अकादमी दिल्ली के उपाध्यक्ष जाने माने ग़ज़लगो श्री माधव कौशिक ने कहा ममता किरण की इन ग़ज़लों में आम जबान की अदायगी की सराहना की और कहा कि आज हिंदी ग़ज़ल उर्दू की ग़ज़ल से कहीं भी कम नहीं
है। डॉ पुष्पा राही ने कहा कि ममता किरण की इन ग़ज़लों में ममता व आत्मीयता का निवास है। उन्होंने कई ग़ज़लों से शेर उद्धृत करते हुए उन्होंने बल देकर कहा कि ममता किरण के पास ग़ज़ल का एक सिद्ध मुहावरा है जो उन्हें इस क्षेत्र में पर्याप्त ख्याति देगा।
इन ग़ज़लों पर अपनी सम्मति व्यक्त करते हुए श्री बाल स्वरूप राही ने कहा कि ममता किरण ने अपने इस संग्रह से ग़ज़ल की दुनिया में एक उम्मीद पैदा की है । उन्होंने कहा आम जीवन की तमाम बातें इन ग़ज़लों का आधार बनी हैं। बोलचाल की एक अनूठी लय इन ग़ज़लों में हैं। उन्होंने ममता किरण को एक बेहतरीन शायरा का दर्जा देते हुए कहा कि वे भविष्य में और भी बेहतरीन ग़ज़लों के साथ सामने आएंगी ।
लोकार्पण को संगीतमय बनाने के लिए ममता किरण की ग़ज़ल को गायक एवं संगीतकार आर डी कैले ने व गायक जनाब शकील अहमद ने ग़ज़ल गाकर महफिल को संगीतमय कर दिया।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी के सुधी कवि गीतकार डॉ ओम निश्चल ने किया।अंत मे मृदुला सतीश टंडन ने जश्नेहिंद की ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया।
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डॉ शम्भू पंवार
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