'दम तोड़ती मानवता के गाल पर तमाचा है'पुस्तक पैसा बोलता है।

पिछले दिनों मैं संगम नगरी प्रयागराज की साहित्यिक यात्रा पर था।प्रयागराज के सुप्रिसिद्ध कवियों,शायरों से मुलाकात हुई।इस दौरान देश के युवा कुशल व्यंग्यकार गंगा प्रसाद त्रिपाठी 'मासूम' द्वारा विरचित काव्य कृति 'पैसा बोलता है' प्राप्त हुई।काव्य संग्रह का सघन अध्ययन करने के पश्चात मैंने पाया कि उक्त काव्य संग्रह में अंधी दौड़ में शामिल गिरावट के आखिरी पायदान पर पड़ी गिरती हुई आदमीयत और मानव जीवन के विविध् प्रसंगो को स्वंय में संजोए गीत,ग़ज़ल,व्यंग्य,मुक्तक,कविता सहित कुल 32 एक से बढ़कर एक रचनाएँ हैं।गंगा प्रसाद त्रिपाठी'मासूम' की कृतियाँ क्रमश: दूसरी आजादी,ठण्डा होता शहर,आम आदमी बोल रहा हूँ।शीघ्र पाठकों के हाथ में होगी।पुस्तक ' पैसा बोलता है' ने मुझसे जो संवाद किया वो मेरे अंतस को झकझोर के रख दिया। व्यंग्यकार ने इस संग्रह में व्यवस्था में मौजूद हर वृत्ति पर कटाक्ष किए हैं और ज्वलंत मुद्दों को गहरे तक छुआ है । किसान आत्म हत्या कर रहा है। मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए मर रहा।जीवन में अनेक पीड़ाओं से गुजरते हुए आम आदमी की व्यथा को उकेरा है।वहीं नक्काशी काट रहे सियासतदारों को आमजन के प्रति असंवेदनहीनता को रचनाकार द्वारा बेहद तरीके और सलीके व्यक्त किया गया है। मानवता मरणासन्न अवस्था में है किसी के आंसू और दर्द से लोगों का वास्ता नही है लोग निज स्वार्थ सिद्धी में ही तल्लीन हैं।समाज सेवक का चोला धारण कर जो लोग राजनीती में आकर हिन्दुस्तान का बेड़ागर्क कर रहे हैं उनके लिए पैसा सर्वोपरि हो गया,मज़हब और दीन,हीन भिक्षु,विकलांग,उपेक्षित,शोषित जनों को ऐसे राजनीतिक जन सदैव हासिए पर देखते रहने के आदी हैं।तथाकथित नेता जो घोटालों में आकंठ डूबे हैं इस पुस्तक के माध्यम से व्यंग्यकार ने उनके हृदय को भेदकर आईना दिखाया है और सवाल किया है कि क्या इसीलिए मंगल पांडे ने सीने पर गोली खाये थे,झाँसी की रानी ने लहू बहाये थे,चंद्रशेखर ने प्राण लुटाये थे,लालाजी ने लाठी खा प्राण गँवाये थे। वहीं रचनाकार ने कोख में मारी जा रही बेटियों के दर्द को उकेरा है दहेज की बलि वेदी पर चढ़ती बहुओं की व्यथा पढ़कर मन द्रवित हो उठा । मोबाइल,इंटरनेट में खोई पीढ़ी लहू के रिश्ते को दरकिनार कर रही है। रचनाकार ने युवा पीढ़ी से माँ बाप के त्याग,समर्पण को जीवन पर्यन्त न भूलने की बात कही है। रचनाकार गंगा प्रसाद त्रिपाठी 'मासूम' जिस तरह से अपने लेखन में व्यंग्य के साथ जीवन की झंझावतों का वर्णन किया है। जिसके लिए बधाई के पात्र हैं ।

 
पुस्तक का नाम- पैसा बोलता है
रचनाकार-गंगा प्रसाद त्रिपाठी'मासूम'
संस्करण-प्रथम
प्रकाशक-विश्व साहित्य प्रकाशन प्रयागराज*
पुस्तक कीमत-100
समीक्षक-आशीष तिवारी निर्मल





 









1         यदि आप स्वैच्छिक दुनिया में अपना लेख प्रकाशित करवाना चाहते है तो कृपया आवश्यक रू से निम्नवत सहयोग करे :

a.    सर्वप्रथम हमारे यूट्यूब चैनल Swaikshik Duniya को subscribe करके आप Screen Short  भेज दीजिये तथा

b.      फेसबुक पेज https://www.facebook.com/Swaichhik-Duniya-322030988201974/?eid=ARALAGdf4Ly0x7K9jNSnbE9V9pG3YinAAPKXicP1m_Xg0e0a9AhFlZqcD-K0UYrLI0vPJT7tBuLXF3wE को फॉलो करे ताकि आपका प्रकाशित आलेख दिखाई दे सके

c.       आपसे यह भी निवेदन है कि भविष्य में आप वार्षिक सदस्यता ग्रहण करके हमें आर्थिक सम्बल प्रदान करे।

d.      कृपया अपना पूर्ण विवरण नाम पता फ़ोन नंबर सहित भेजे

e.      यदि आप हमारे सदस्य है तो कृपया सदस्यता संख्या अवश्य लिखे ताकि हम आपका लेख प्राथमिकता से प्रकाशित कर सके क्योकि समाचार पत्र में हम सदस्यों की रचनाये ही प्रकाशित करते है

2         आप अपना कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि पूरे विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो के साथ हमारी मेल आईडी swaikshikduniya@gmail.com पर भेजे और ध्यान दे कि लेख 500 शब्दों  से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा

3         साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधिब्यूरो चीफरिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।

4         अपने वार्षिक सदस्यों को हम साधारण डाक से समाचार पत्र एक प्रति वर्ष भर भेजते रहेंगे,  परंतु डाक विभाग की लचर व्यवस्था की वजह से आप तक हार्डकॉपी हुचने की जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी। अतः जिस अंक में आपकी रचना प्रकाशित हुई है उसको कोरियर या रजिस्ट्री से प्राप्त करने के लिये आप रू 100/- का भुगतान करें