काँटों पर गाना सदा,तू फूलों के गीत।।
हर मुश्किल में जब जले,आशाओं के दीप।
तब ही मिल पाती सतत्,चलकर विजय समीप।।
मन को कभी न हारना,हरदम रख आवेश।
राणा साँगा सा रहे,प्रिय नित तेरा वेश।।
बढ़ना है हर राह पर,लेकर मंगलभाव।
सम्बल जिसके साथ है,रहता विजय-प्रभाव।।
आशा नित देती हमें,सम्बल का आलोक।
जहाँ आस है,है वहाँ,जगमग करता लोक।।
अंधकार को चीरकर,लाता नवल विहान।
आशा का लघुदीप तो,करे पूर्ण अरमान।।
आशा तो इक पर्व है,आशा तो आनंद।
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