मुझे बहुत अच्छे से याद है कि सितंबर 2010 को छत्तीसगढ़ तथा देश के अन्य भाग से साहित्यकारों का एक दल, छत्तीसगढ़ की एक साहित्यिक संस्था द्वारा आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन कर साहित्यिक भ्रमण के लिए पोर्ट लुइस,मॉरीशस, हिंदी साहित्य पखवाड़ा मनाने पहुंचा था। जल तथा हरियाली से आच्छादित मॉरीशस सभी साहित्यकारों को लुभा रहा था। मॉरीशस एक बहुत छोटा देश जो चारों तरफ समुद्र से घिरा हुआ हरियाली से आच्छादित है अत्यंत शांत पर्यटकों को लुभाने वाला सुंदरतम स्थान है। इतिहास को देखें तो बताया जाता है कि यह एक ज्वालामुखी से निकले मलबे से बना हुआ छोटा सा भूभाग हुआ करता था। भारत के दक्षिण तथा बिहार प्रांत से बहुत वर्षों पहले गिरमिटिया मजदूरों के जाने के बाद यह एक समृद्ध और संपन्न राष्ट्र बन गया है। यहां मूलतः हिंदू मुस्लिम तथा कुछ संख्या में ईसाई धर्मावलंबी निवास करते हैं। भारत से बिहार प्रांत तथा दक्षिण के तमिलनाडु से गए लोगों की जनसंख्या बहुतायत में है, और अधिकांश लोग भोजपुरी तथा तमिल भाषा बोलने के आदी हैं, पर यहां अंग्रेजी भी फर्राटे से बोली जाती है। यहां पर हिंदू धर्मावलंबी लोग अपने घरों के आंगन में तुलसी का पौधा जरूर लगाते हैं, और संभवतः सुबह-शाम उस पर दीप प्रज्वलित कर पूजा की जाती है। इसी तरह ये लोग भारत से रामायण रामचरितमानस तथा महाभारत जैसे महान हिंदू ग्रंथ ग्रंथ लेकर मॉरीशस पहुंचे थे।और आज भी इन ग्रंथों की वहां पूजा की जाती है।
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