तालिबान के आधिपत्य के अफगानिस्तान में अब बर्बर युग लौट रहा हैl शरिया कानून लागू करने की तैयारी के तारतम्य में तालिबानी शासकों द्वारा क्रूरता की हदें पार कर दी हैंl तालिबान ने जब से अफगानिस्तान का प्रशासन संभाला है, अफगानिस्तान के नागरिकों और महिलाओं पर बर्बर कानून यानी आदिम युग का कानून लागू करने की तैयारी शुरू कर दी हैl अफगानिस्तान न्यूज़ इंफॉर्मेशन एजेंसी के अनुसार कंधार में एक महिला डॉक्टर के घर में घुसकर तालिबान ने जबरदस्त तोड़फोड़ की है। महिला डॉक्टर तथा उसके परिवार को कई घंटे तक यातनाएं देकर परिवार के सदस्यों को और उसके समर्थक पड़ोसी को उठाकर जेल में डाल दिया गयाl कंधार की एक प्रसिद्ध महिला डॉक्टर फहीमा रहमति कंधार की एक जानी मानी बड़ी डॉक्टर एवं महिलाओं तथा बच्चों के अधिकार के लिए होप फाउंडेशन संस्था चलाती हैl उनके घर में अचानक तालिबानी लोगों ने धावा बोल दिया, वह फाउंडेशन के एक सदस्य ने इस बर्बरता का एक वीडियो भी वायरल किया है, डॉ फहीमा ने बताया के उनके घर पर अचानक तालिबान लोग घुस आये, घर में जबरदस्त तोड़फोड़ की, साथ में मारपीट भी करते रहेl घर में घुसकर महिला डॉक्टर के देवर दो भाइयों और एक पड़ोसी के साथ जबरदस्त तरीके से क्रूरता से पेश आएं, उन्हें उठाकर ले गएl तालिबानियों ने आरोप लगाकर कि डॉक्टर फातिमा के घर में कुछ पूर्व अफगानी सुरक्षा अधिकारी ठहरे हुए हैं, उसके बाद पूरे घर में आतंक का तांडव मचा दिया गया था। यह तो एक घटना है, ऐसी न जाने कितनी काबुल तथा कंधार में घटनाएं हुई हैं। दूसरी तरफ तालिबानी शासकों ने अपराधियों के लिए बर्बर कानूनी सजा की तैयारी शुरू कर दी है। इस्लामी अमीरात के अंतर्गत आदम युग के कानून बनाए जा रहे हैं। जिसमें जघन्य और बर्बर सजाओ का प्रावधान रखा गया है। चोरी करने वालों के हाथ काट दिए जाएंगे, महिला से अवैध संबंध रखने पर सरेआम चौक पर बांधकर पत्थर बरसा कर मार डालने की सजा मुकर्रर की गई है। तालिबान शासकों द्वारा कानून मंत्रालय का नाम सद्गुण प्रचार और बुराई की रोकथाम मंत्रालय रखा गया है। तालिबान के केंद्रीय क्षेत्र के जिम्मेदार मोहम्मद यूसुफ ने बताया तालिबान शासन नियमों का उल्लंघन करने वाले को इस्लामी नियमों के अनुसार कड़ी से कड़ी सजा सुनाने वाला कानून बना रहा है। जो आज के प्रगतिशील युग की मानव अधिकार की धज्जियां उड़ाने वाला बर्बर कानून ही होगा। उल्लेखनीय है कि तालिबान के महिलाओं पर अत्याचार एवं उनकी पोशाक पर नियंत्रण करने वाले फ़रमानों के खिलाफ अफगान महिलाओं द्वारा "डोंट टच माई क्लोथ" मुहिम चलाकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया है। पोशाकों को लेकर अफगानिस्तान महिलाओं ने ऑनलाइन अभियान की शुरूआत की है। डू नॉट टच माय क्लॉथ और अफगानिस्तान कल्चर जैसे हेश टैग का अभियान चलाया है। अफगान महिलाएं सोशल मीडिया पर रंगीन और पारंपरिक परिधानों से सजी अपनी तस्वीरें शेयर कर रही हैं। इन रंगीन कपड़ों में और उनके सांस्कृतिक पोशाकों में अफगान महिलाओं को देखकर आप सचमुच दंग रह जाएंगे। हाथ की कढ़ाई से बने लंबे घागरे एवं शीशे लगे इन परिधानों में अफगानिस्तान महिलाएं काफी आकर्षक दिखाई देती हैं।और पिछले 20 वर्षों से अफगानी महिलाएं अपने कामकाज रोजमर्रा के कार्यक्रमों में चाहे वह कॉलेज जाना बाजार जाना या अन्य कार्य करने में ऐसी ही रंगीन पोशाक में पहना करती थी। पर अब अफगानिस्तान पर शासन करने वाले तालिबान ने पूरे बुर्के में महिलाओं को बिना पुरुषों के साथ बाहर निकालने पर सख्त पाबंदी लगा दी है। इस पर अफगानिस्तान की महिलाएं खुलकर विरोध कर ऑनलाइन सोशल मीडिया पर बहुत मुखर हो गई है। शरिया कानून लागू करने की आड़ में एवं इस्लामिक अमीरात के नए प्रावधानों के तहत महिलाओं के साथ साथ पुरुषों तथा बच्चों पर बहुत ही बर्बर कानून लाद दिए गए हैं। अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा अफगान नागरिकों पर अत्याचार कर उन्हें मौत के घाट उतार रहे हैं। तालिबानी प्रशासकों द्वारा यह कहना कि वह 20 साल पुराना तालिबान नहीं है, यह एक मिथ्या और कथनी और करनी वाली कहावत ही लगती है। अफगानी हो पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ और पूरा विश्व मूकदर्शक बनकर खड़ा देख रहा है वहां मानव अधिकारों का हर पल खुला उल्लंघन होता जा रहा है। पाकिस्तान तथा चीन समर्थित तालिबानी शासकों का यह चेहरा अत्यंत खतरनाक एवं वैश्विक शांति के लिए दूरगामी खतरा नजर आता है।
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